बॉलीवुड हो या टीवी की दुनिया यहां स्क्रीन पर उस को ज्यादा स्पेस और पॉपुलेरिटी मिलती है जो लीड एक्टर का रोल करता है. देखा जाए तो सुंदर चेहरा और स्क्रीन पर ज्यादा मौजूदगी के चलते कोई हीरो बन जाता है और कोई ज्यादा काम करने के बावजूद हीरो नहीं बन पाता. शोबिज की दुनिया में कुछ ऐसा ही हाल है करेक्टर आर्टिस्ट्स का. यहां कैरेक्टर आर्टिस्टों के साथ होने वाले गलत व्यवहार के चलते पंचायत की इस एक्ट्रेस ने एक बारगी एक्टिंग को अलविदा करने का मन तक बना लिया था. जी हां बात हो रही है, पंचायत और गुल्लक जैसे टीवी सीरियलों में दमदार रोल करने वाली एक्ट्रेस सुनीता राजवार की.
पंचायत की एक्ट्रेस सुनीता राजवार ने दिया इंटरव्यू
एक इंटरव्यू में सुनीता राजवार ने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के कुछ ऐसे पन्ने खोल दिए जिसे पढ़कर आप भावुक हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि शोबिज की दुनिया में लीड एक्टर्स के साथ राजाओं की तरह व्यवहार होता है और कैरेक्टर आर्टिस्ट के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जाता है. टीवी इंडस्ट्री भी इसी तरह व्यवहार करती है. उन्होंने कहा कि छोटे मोटे रोल करने वाले और साइड रोल करने वाले लोगों के साथ जानवरों जैसा सलूक होता है और इसी बात से दुखी होकर उन्होंने इस लाइन से दो साल तक का ब्रेक भी ले लिया था.उन्होंने कहा कि चूंकि इंडस्ट्री एक्टर्स को टाइपकास्ट बना देती है, मेकर्स उनके साथ बुरा व्यवहार करते हैं जो छोटे रोल करते आए हैं. ये दुखदायी है लेकिन यही फैक्ट है.
कैरेक्टर आर्टिस्ट्स के साथ जानवरों की तरह होता है बर्ताव
उन्होंने कहा कि एक ही सेट पर लीड एक्टर और सपोर्टिंग एक्टर्स के साथ भी भेदभाव होता है. जहां लीड एक्टर को ढेर सारे फायदे और पर्क्स मिलते हैं वहीं सपोर्टिंग एक्टरों को अपने भत्तों तक के लिए संघर्ष करना पड़ता है. लीड एक्टर को उनकी सहूलियत के हिसाब से कॉल टाइम दिया जाता है जबकि दूसरों के साथ ऐसा नहीं होता है. लेकिन मजबूरी ये है कि सपोर्टिंग, कैरेक्टर और छोटे रोल करने वालों को अपनी जिंदगी जीनी है और पेट भरने के लिए ये समझौते करने पड़ते हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि वो इस बात को समझती हैं कि लीड एक्टर्स को महीने के सभी दिन काम करना पड़ता है और कभी कभी वो 24 घंटे भी काम करते हैं लेकिन शूटिंग के दौरान ऐसा भेदभाव भरा व्यवहार बहुत बुरा फील कराता है.
गंदे कमरे और बाथरूम ने किया दुखा
उन्होंने कहा कि अगर मेकर्स को लगता है कि किसी शूट के लिए एक आर्टिस्ट की जरूरत नहीं है तो उसे उस वक्त कॉल नहीं करना चाहिए. उसे वहां बिना बात के बिठाकर क्यों रखा जाता है. इससे जाहिर होता है कि लोग दूसरों को नीचा दिखाने के लिए ऐसा करते हैं. उन्होंने कहा कि लीड एक्टर्स को काफी दुलार किया जाता है. उनके कमरे साफ होते हैं, वहां फ्रिज और माइक्रोवेव तक होते हैं. और हमारे जैसों का क्या, हमारे कमरे छोटे और बदबूदार होते हैं. एक एक कमरे में तीन से चार लोग होते हैं, कहीं छत गिरने वाली है तो कहीं बाथरूम गंदे हैं. कहीं बैडशीट्स गंदी मिलेंगी. ये देखकर मुझे काफी दुख होता है. उन्होंने कहा कि ऐसा भेदभाव देखकर उन्होंने एक्टिंग छोड़ने का फैसला कर लिया था और सिनाटा का कार्ड तक कैंसिल करवा दिया था.
पंचायत की इस एक्ट्रेस ने बयां किया कैरेक्टर आर्टिस्ट्स का दर्द, कहा जानवरों की तरह होता है बर्ताव, खोले पर्दे के पीछे से जुड़े कई राज
इस एक्ट्रेस ने टीवी की दुनिया में लोगों के साथ भेदभाव देखा तो दुखी होकर एक्टिंग करियर खत्म करने का फैसला तक ले डाला था. खोल पर्दे के पीछे से जुड़े कई राज़.
विज्ञापन
Read Time:
3 mins
पंचायत की इस एक्ट्रेस ने बयां किया कैरेक्टर आर्टिस्ट्स का दर्द
नई दिल्ली:
Featured Video Of The Day
Chhath Puja 2024: Tickets की लंबी Waiting, Stations पर भीड़, यात्री कैसे पहुंचेंगे घर? | Bihar
Topics mentioned in this article