ना प्रभास ना अल्लू अर्जुन इस एक्टर से हर डायरेक्टर रहता है खुश, एक बार में ओके होता है सीन, सीटीमार-गोलीमार है ब्लॉकबस्टर मूवीज

सीन या शॉट में मीन मेख निकालना या शूटिंग के समय नखरे दिखाना. कभी अपने लुक को लेकर बहस करना या सीन में अपने एक्शन को लेकर हुज्जत करना. एक सितारा ऐसा भी है जो डायरेक्टर के काम में दखल देना बिलकुल पसंद नहीं करता.

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इस एक्टर से हर डायरेक्टर रहता है बेहद खुश, फोटो- youtube/Saregama Telugu
नई दिल्ली:

आपने बॉलीवुड या टॉलीवुड के सितारों के नखरों के किस्से जरूर सुने होंगे. डायरेक्टर से अजीबोगरीब डिमांड करना. सीन या शॉट में मीन मेख निकालना या शूटिंग के समय नखरे दिखाना. कभी अपने लुक को लेकर बहस करना या सीन में अपने एक्शन को लेकर हुज्जत करना. लेकिन एक सितारा ऐसा भी है जो डायरेक्टर के काम में दखल देना बिलकुल पसंद नहीं करता. ये स्टार हैं गोपीचंद. गोपीचंद साउथ की दुनिया के बड़े सितारे हैं. जिनके नाम पर दक्षिण भारत की बड़ी बड़ी फिल्में दर्ज हैं. लेकिन सेट पर पहुंचने के बाद वो डायरेक्टर के एक्टर बन कर काम करते हैं.

मॉनिटर भी नहीं देखते गोपीचंद

साउथ के सुपरस्टार गोपीचंद ने खुद अपनी इस आदत का खुलासा किया है. बहुत से सितारों की आदत होती है कि जैसे ही वो सीन पूरा करते हैं, उसे चेक करने के लिए मॉनिटर देखने जरूर जाते हैं. अगर उन्हें कोई कमी लगती है तो वो खुद दोबारा उस सीन को शूट करने की पहल भी करते हैं. लेकिन गोपीचंद इन सबसे अलग हैं. ये खुलासा गोपीचंद ने फिल्म भीमा के प्रमोशन के दौरान किया. उन्होंने कहा कि वो सीन पूरा करने के बाद मॉनिटर पर जाकर उसे चेक नहीं करते हैं. अगर डायरेक्टर उस सीन के फ्लो से संतुष्ट है तो वो कभी सीन दोबारा करने की मांग नहीं करते हैं. उनका कहना है कि इस मामले में डायरेक्टर को परेशान करना उन्हें पसंद नहीं है.

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कभी करते हैं सवाल

इसी सिलसिले में गोपीचंद ने आगे ये भी बताया कि वो सवाल कब करते हैं या दखल कब देते हैं. हालांकि उनका दखल भी डायरेक्टर को जानकारी देने तक ही सीमित होता है. गोपीचंद ने कहा कि वो स्क्रिप्ट सुनते समय ही, जहां भी कंफ्यूजन होता है वहां डायरेक्टर से सवाल कर लेते हैं. और, सारे डाउट क्लियर करते हैं. इसके बाद वो डायरेक्टर से तभी सवाल करते हैं जब फिल्म की डबिंग के दौरान उन्हें कुछ ठीक नहीं लगता है. अगर तब उन्हें कुछ गलत लगता है या कुछ दोबारा करने की जरूरत लगती है तो वो इसकी जानकारी डायरेक्टर को देते हैं. आगे डायरेक्टर की क्या मर्जी है, ये वो उसी पर छोड़ देते हैं.

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