सौ से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुका है ये एक्टर, बॉलीवुड से निराश होने के बाद बंद कर दी हिंदी फिल्में देखना- पहचाना क्या?

बॉलीवुड के ऐसे कई कलाकार हैं जो पर्दे पर अपनी अलग एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं. कुछ कलाकार ऐसे भी हैं, जो लंबे समय से फिल्मों में एक्टिव हैं. लेकिन कुछ एक्टर्स ऐसे भी हैं, जो बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री से काफी निराश हो चुके हैं.

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नई दिल्ली:

बॉलीवुड के ऐसे कई कलाकार हैं जो पर्दे पर अपनी अलग एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं. कुछ कलाकार ऐसे भी हैं, जो लंबे समय से फिल्मों में एक्टिव हैं. लेकिन कुछ एक्टर्स ऐसे भी हैं, जो बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री से काफी निराश हो चुके हैं. अब आलम यह है कि उन्होंने हिंदी फिल्मों को पूरी तरह से देखना बंद कर दिया है. उनमें से एक एक्टर नसीरुद्दीन शाह भी हैं. नसीरुद्दीन शाह बॉलीवुड के सीनियर कलाकारों में से एक हैं. हाल ही में वह एक कार्यक्रम में शामिल हुए जहां उन्होंने हिंदी सिनेमा पर अपनी निराशा व्यक्त की. 

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार ए वेडनसडे के एक्टर ने बताया है कि हिंदी सिनेमा के बेहतर होने की उम्मीद तभी है जब फिल्म निर्माता पैसा कमाने के इरादे के बिना फिल्में बनाएंगे. नसीरुद्दीन ने यहां तक कहा कि फिल्म निर्माता पिछली सदी से एक ही तरह की फिल्में बना रहे हैं. वह डिज्नी प्लस हॉटस्टार की वेब सीरीज शोटाइम में दिखाई देंगे, उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने फिल्में देखना बंद कर दिया है और जो फिल्में बन रही हैं उन्हें पसंद नहीं करते हैं और नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि उन्हें यह देखकर 'निराशा' महसूस होती है कि लोग हिंदी सिनेमा के 100 साल पुराने होने पर गर्व करते हैं. हिंदी फिल्मों में सार्थकता की कमी पर सवाल उठाते हुए शाह ने यह भी कहा कि बहुत जल्द लोग एक ही तरह की फिल्में देखकर बोर हो जाएंगे. 

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एक्टर ने कहा, 'यह वास्तव में मुझे निराश करता है कि हम यह कहने में गर्व महसूस करते हैं कि हिंदी सिनेमा 100 साल पुराना है लेकिन हम वही फिल्में बना रहे हैं. मैंने हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया है, मुझे वे बिल्कुल पसंद नहीं हैं. हिंदी सिनेमा के लिए उम्मीद तभी है जब हम उन्हें पैसा कमाने के साधन के रूप में देखना बंद कर दें. लेकिन मुझे लगता है कि अब बहुत देर हो चुकी है. अब कोई समाधान नहीं है क्योंकि जिन फिल्मों को हजारों लोग देखते हैं वे बनती रहेंगी और लोग देखते रहेंगे, भगवान जाने कब तक. इसलिए जो लोग गंभीर फिल्में बनाना चाहते हैं, यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे आज की सच्चाई दिखाएं और इस तरह से कि उन्हें फतवा न मिले, या ईडी उनके दरवाजे पर दस्तक न दे.' इसके अलावा नसीरुद्दीन शाह ने और भी ढेर सारी बातें की हैं. 
 

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