गांव से एक्टिंग के लिए मुंबई आता है ये एक्टर, अक्षय और अमिताभ बच्चन संग दी फिल्में, कहलाता है दमदार कलाकार

आज हम आपको बॉलीवुड के एक ऐसे एक्टर के बारे में बताने वाले हैं, जो गांव से मुंबई में एक्टिंग करने आता है और काम खत्म कर फिर से गांव चला जाता है. यह बात हम नहीं उस एक्टर ने खुद कही है.

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मुंबई में एक्टिंग करने गांव से आता है ये एक्टर, माना जाता है दमदार कलाकार
नई दिल्ली:

बॉलीवुड में सितारे फिल्मों के साथ-साथ अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी चर्चा में रहते हैं. कोई कलाकार अपने लाइफस्टाइल तो कोई अपना लुक को लेकर सुर्खियों में बना रहता है. लेकिन आज हम आपको बॉलीवुड के एक ऐसे एक्टर के बारे में बताने वाले हैं, जो गांव से मुंबई में एक्टिंग करने आता है और काम खत्म कर फिर से गांव चला जाता है. यह बात हम नहीं उस एक्टर ने खुद कही है. इस एक्टर का नाम नाना पाटेकर हैं. दरअसल पिछले साल कौन बनेगा करोड़पति के सीजन 16 में नाना पाटेकर अपनी फिल्म का प्रमोशन करने के लिए आए थे. 

इस दौरान उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ केबीसी का गेम खेला और अपनी निजी जिंदगी के बारे में ढेर सारे खुलासे किए. शो के दौरान अमिताभ बच्चन ने नाना पाटेकर, जो अब ज्यादातर समय अपने गांव में रहते हैं, से पूछा कि उन्हें कब लगा कि उन्हें गांव में ही रहना चाहिए. नाना ने जवाब दिया, “मैं फिल्म इंडस्ट्री से नहीं, बल्कि गांव से हूं. मैं खेड़ा गांव का हूं और वहीं रहना पसंद करता हूं. काम के बाद मैं वापस अपने गांव लौट जाता हूं, क्योंकि वहां सुकून मिलता है.” नाना ने आगे बताया, “जब मैं सेट पर आया और मिस्टर बच्चन से मिला, तो मैंने उनसे पूछा कि आप इतना काम क्यों करते हैं? एक हफ्ते मेरे गांव में रहकर देखिए, वहां कितना सुकून है.” 

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नाना पाटेकर ने बताया कि अमिताभ दिन में 12 घंटे काम करते हैं, और इसके लिए नाना उनकी तारीफ करते नहीं थकते. अमिताभ ने नाना की बात सुनकर कहा, “आपके गांव की बात सुनकर मन करता है कि मैं भी वहां जाकर रहूं. अब समझ आया कि आप क्यों गांव वापस चले गए.” इसके बाद अमिताभ ने पूछा कि नाना का गांव में दिन कैसा बीतता है. नाना ने हंसते हुए बताया, “मैं सुबह जल्दी उठता हूं. मेरे पास एक छोटा सा जिम है. मेरे पास दो गाय और एक बैल हैं, और मैं सारा काम खुद करता हूं. नाश्ता, खाना - सब मैं खुद बनाता हूं. मैं बहुत अच्छा खाना बनाता हूं. एक बार तो मैंने सोचा था कि अगर फिल्मों में काम नहीं चला, तो एक छोटा सा ढ़ाबा खोल लूंगा. लेकिन जिंदगी ने मुझे जितना चाहिए था, उससे ज्यादा दिया, अमित जी.”

नाना ने आगे कहा, “अब मेरी जरूरतें बहुत कम हो गई हैं. शाम को मैं किताबें पढ़ता हूं. मेरे पास ढेर सारी किताबें हैं, कुछ पढ़ी, कुछ बाकी. मेरे गांव में चारों तरफ पहाड़ हैं, शहर की तरह दीवारें नहीं. जिंदगी बहुत आसान है. सुबह पक्षी और मोर मुझे जगाते हैं, कोई अलार्म की जरूरत नहीं.” यह सुनकर अमिताभ ने कहा, “आपने तो मुझे मंत्रमुग्ध कर दिया. मैं जरूर आपके गांव आऊंगा.” नाना ने तुरंत जवाब दिया, “बिल्कुल आइए, मेरा घर सिर्फ मेरा नहीं, मेरे दोस्तों का भी है. वहां घर जैसा सुकून मिलेगा.” 

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