दुनियाभर में बेस्टसेलर रही किताब 'द गॉडफादर' के राइटर मारियो पूजो ने एक बार कहा था कि वफादारी सबसे मजबूत गोंद है जो किसी रिश्ते को जीवन भर बनाए रखती है. बेशक ये वफादारी जिंदगी के हर रिश्ते में मायने रखती है. फिर बात अगर प्रेम की हो तो यह और भी अहम हो जाती है. इसलिए हम यहां एक ऐसी फिल्म और उसकी कहानी का जिक्र करने जा रही है जो इश्क के कई सबक सिखाती है. यो तो जगजाहिर है कि प्यार में पड़ते ही दुनिया रंगीन लगने लगती है. हर बात अच्छी लगती है और पार्टनर की हर आदत के पीछे हमें 'केयर' दिखने लगती है. लेकिन कई बार यही केयर धीरे-धीरे कंट्रोल में बदल जाती है और हम समझ ही नहीं पाते कि हम किसी गलत इंसान को सही मान बैठते हैं. अगर आपके साथ भी ऐसा कभी हुआ है, तो रुकिए और एक गहरी सांस लीजिए. आज हम आपको प्यार नहीं, खुद से प्यार करना सिखाने वाले हैं और इसके लिए बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म 'जब वी मेट' से बेहतर टीचर कोई नहीं.
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इश्क का अंधापन
करीना कपूर और शाहिद कपूर की फिल्म जब वी मेट इस जाल को सबसे खूबसूरती से दिखाती है. फिल्म की बिंदास, खुशमिजाज और आजाद ख्यालों वाली 'गीत...पढ़ी-लिखी होकर भी प्यार में अंधी हो जाती है. अंशुमन के लिए वो घर तक छोड़ने को तैयार है, जबकि वही इंसान उसे धोखा दे रहा होता है. प्यार ने उस पर ऐसी पट्टी बांध दी कि वो खुद की खुशी, इज्जत और सोच सब भूल गई. ये सिर्फ फिल्मी कहानी नहीं, हकीकत में भी ऐसे कितने लोग हैं जो प्यार के नाम पर खुद को तकलीफ पहुंचाते रहते हैं और सच देखने से बचते हैं.
सही जीवनसाथी कौन?
फिल्म में जब आदित्य यानी शाहिद कपूर गीत की जिंदगी में आता है, तब उसे पहली बार एहसास होता है कि सही इंसान का साथ कैसा होता है और गलत इंसान के लिए खुद को खोने की कीमत कितनी भारी पड़ती है. धोखे के बाद गीत का टूटना और फिर खुद को नए सिरे से संवारना यही बताता है कि जीवन में सबसे जरूरी है खुद की कद्र करना. क्योंकि जब आप खुद से प्यार करना सीख जाते हैं, तब ही आप दुनिया को सही तरह से देख पाते हैं. और गीत की तरह अपनी जिंदगी वापस पकड़ लेते हैं.