केबीसी 15 को एक महीने के अंदर ही मिल गया पहला करोड़पति, 21 साल के जसकरण ने कमा डाले इतने करोड़

'कौन बनेगा करोड़पति - सीज़न 15' को 5 सितंबर को जसकरण सिंह के रूप में अपना पहला करोड़पति मिला! भारतीय सीमा के मुहाने पर स्थित एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले जसकरण की कहानी प्रेरणा का प्रतीक है.

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पंजाब के जसकरण सिंह बने कौन बनेगा करोड़पति - सीजन 15 के पहले करोड़पति
नई दिल्ली:

'कौन बनेगा करोड़पति - सीज़न 15' को 5 सितंबर को जसकरण सिंह के रूप में अपना पहला करोड़पति मिला! भारतीय सीमा के मुहाने पर स्थित एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले जसकरण की कहानी प्रेरणा का प्रतीक है. 21 वर्षीय जसकरण अपने कॉलेज जाने के लिए दो-दो घंटे की यात्रा करते थे क्योंकि वो  जानते थे कि ज्ञान उनका स्तर उठाएगा, जो उन्हें अपने सपनों के एक कदम और करीब ले जाएगा. घर पर वो अपनी कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी और केबीसी की तैयारियां भी कर रहे थे और उनकी सारी मेहनत और समर्पण तब रंग लाया जब जसकरण ने खुद को मेगास्टार अमिताभ बच्चन के सामने बैठा पाया. केबीसी के गौरवशाली होस्ट जसकरण द्वारा शो में लाए गए महत्वाकांक्षा और साहस के बवंडर से मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सके.

मंच पर, उत्साह और भावनाओं के बीच, उन्होंने खुलासा किया कि कैसे उनका परिवार उन्हें शिक्षा का उपहार देने के लिए उनके साथ खड़ा था - जिसका बदला वो अब केबीसी में मिली शानदार सफलता से चुकाना चाहते हैं. अदम्य भावना से लैस, इस युवा फायरब्रांड ने पूरी सफाई के साथ घोषणा की कि उनकी यात्रा दृढ़ता से भरी थी, हमें याद दिलाया कि सीखने का असली रोमांच स्कूल की दीवारों से परे ही शुरू होता है.

उनके सपने 1 करोड़ पर नहीं रुकते, क्योंकि जसकरण सिंह ने आईएएस अधिकारी बनने की अपनी आकांक्षाओं का खुलासा किया. 'बदलाव' की सच्ची भावना पेश करते हुए, जिसे क्विज़ शो के इस संस्करण में जीवंत किया गया है, "केबीसी अध्ययन सत्र से लेकर 1 करोड़ रुपए का चेक पकड़ने तक की छलांग परिवर्तन का प्रतीक है. इसके लिए मैं अमिताभ बच्चन सर को हार्दिक धन्यवाद देता हूं. उन्होंने मुझे अपने जीवन की सीख दी, जिसने मुझे सोच-समझकर जोखिम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया. मैं अपने परिवार का भी आभारी हूं, जिनके अटूट समर्थन और सलाह ने मुझे हॉटसीट तक पहुंचाया. यह जीत एक बड़ी महत्वाकांक्षा की बस एक शुरुआत है: मैं आईएएस अधिकारी बनकर अपने देश की सेवा करना चाहता हूं. जैसे-जैसे मैं आगे देखता हूं, मुझे इन जीतों का दोहरा उद्देश्य दिखाई देता है जहां मैं पारिवारिक खुशी सुनिश्चित कर सकता हूं और जिन स्थानों पर मैंने अध्ययन किया है, वहां खोज के लिए धन जुटा सकता हूं. यह सिर्फ एक पुरस्कार नहीं है; यह मेरे भविष्य को संवारने का मौका है."

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