कल्कि 2898 एडी रिव्यू: प्रभास की फिल्म की रीढ़ बने अमिताभ बच्चन

इस फ़िल्म में बड़े कलाकार और बड़ा बजट दोनों है साथ ही दक्षिण और उत्तर के कलाकारों का मिश्रण फ़िल्म कारोबार के लिए एक सोची समझी रणनीति है फिर चाहे पंजाब से दिलजीत दोसांज का गाना हो, बंगाल से शाश्वत चटर्जी हों या फिर हिन्दी सिनेमा के कलाकार

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कल्कि 2898 एडी रिव्यू
नई दिल्ली:

कलाकार - अमिताभ बच्चन , कमल हसन , प्रभास, दीपिका पादुकोण, शाश्वत चटर्जी , अनिल जॉर्ज, ब्रह्मानंद .
कैमियो- एसएस राजमौलि, रामगोपाल वर्मा, डुलकर सलमान , विजय देवरकोणडा.
लेखक और निर्देशक - नाग अश्विन.

कहानी
महाभारत के बाद अश्वत्थामा ( अमिताभ बच्चन ) को इंतज़ार है कल्कि का क्योंकि कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप देते वक़्त कहा की उन्हें कलियुग के अंत तक इंतज़ार करना पड़ेगा और उन्हें कल्कि अवतार की रक्षा करनी पड़ेगी .ये फ़िल्म भविष्य में सेट है जहां दुनिया क़रीब क़रीब ख़त्म हो चुकी है और जो लोग बचे हैं उनमें से एक वो हैं जिनके पास तमाम सहूलियतें हैं और दूसरे वो जो अभाव में ज़िंदगी बिता रहे हैं और इन लोगों का सपना है उस अमीर दुनिया में जाना. इस दुनिया का महामहिम है यास्किन ( कमल हसन ) जिसे इंतज़ार है एक ख़ास सीरम का जो उसे असीम शक्तियां दे सके और जो सिर्फ कल्कि अवतार के अंदर ही हो सकती हैं इसलिए वो हर गर्भवती महिला के शरीर से सीरम लेना चाहता है और जब बारी कल्कि की मां ( दीपिका पादुकोण) की आती है तो अभाव में जी रही दुनिया के लोग या कहें बाग़ी, कल्कि अवतार को बचाने में लग जाते हैं और शुरू होती है एक जंग .

कुछ बातें
इस फ़िल्म में बड़े कलाकार और बड़ा बजट दोनों है साथ ही दक्षिण और उत्तर के कलाकारों का मिश्रण फ़िल्म कारोबार के लिए एक सोची समझी रणनीति है फिर चाहे पंजाब से दिलजीत दोसांज का गाना हो, बंगाल से शाश्वत चटर्जी हों या फिर हिन्दी सिनेमा के कलाकार, ये फ़िल्म के साथ -साथ एक कामयाब प्रोजेक्ट बनाने की कोशिश है.

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खामियां
अक्सर दक्षिण की फिल्मों के कुछ फ़ार्मूले सेट होते हैं जैसे की हीरो की एंट्री को उन्हें दमदार बनाते हुए उन्हें एक बड़ा स्क्रीन टाइम देना ही है जो इस फ़िल्म में भी होता जिसकी वजह फ़िल्म के पहले 50 मिनट बहुत बोरिंग हो जाते हैं जहां बहुत से किरदारों का इंट्रोडक्शन, बैक स्टोरी और डिस्टोपियन दुनिया को जमाने और दिखाने की कोशिश है. ये विज़ुअली आपको रिझा सकता है पर कई लोगों को बोर कर सकता है. 

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महाभारत की कहानी एनीमेशन और ए आई किरदार के ज़रिये दिखायी गई है जिसमें अमिताभ बच्चन का किरदार जो डिज़ाइन किया गया है वो नक़ली लगता है. फ़िल्म के लंबे चेजिंग सीन्स और एक्शन सीन्स लंबे खींचते हैं. फ़िल्म में ऐसे दृश्यों या पहलुओं से बचाना चाहिए थे जिन्हें देख कर हॉलीवुड की कुछ फ़िल्मों के पहलू याद आ जायें, जैसे ट्रांसफार्मर नुमा एक मशीन, या उड़ते हुए वाहन, अंग्रेज़ी फ़िल्म ड्यून की तरह की लोकेशंस और एनिमेटेड शेर जो शाश्वत के किरदार के साथ आता है .

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खूबियां
कल्कि एक बड़े बजट की फ़िल्म है और फ़िल्म में वो खर्च दिखायी देता है तो सबसे पहले तारीफ़ निर्देशक और लेखक अश्विन नाग की जिन्होंने इस अकल्पनीय दुनिया की कल्पना करते हुए पौराणिक कथाओं को भविष्य की दुनिया के साथ जोड़ा है जो की तारीफ़ के काबिल है. 50 मिनट के बाद कहानी दर्शकों को पकड़ने लगती है ख़ासतौर पर सेकंड हाफ अच्छा है और स्क्रिप्ट-स्क्रीनप्ले भी बेहतर है. एक्शन सीन लंबे ज़रूर हैं पर कई एक्शन सीन्स अच्छे है ख़ासतौर से अमिताभ बच्चन और प्रभास के बीच के सीन्स .

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वहीं फ़िल्म में कुछ आइटम सीन्स हैं जो आपको सीटी बजाने पर मजबूर करेंगे ख़ासतौर पर अमिताभ बच्चन जब 6 सात लोगों को उल्टा उठा कर अपने सर के पास टांग देते हैं. इस फ़िल्म की रीढ़ की हड्डी हैं अमिताभ बच्चन, काफ़ी दिन के बाद अमिताभ बच्चन बेहतरीन एक्शन करते नज़र आते हैं , साथ ही अश्वत्थामा का किरदार क्यों की आज भी चर्चा में रहता है इसलिए आप उससे जुड़ पाते हैं. दीपिका पादुकोण का काम अच्छा है  और उनकी भावनाओं के साथ जुड़ पाते हैं. बैकग्राउंड स्कोर ठीक ठाक है .

प्रभास का काम सेकंड हाफ में अच्छा है पर निर्देशक ने उन्हें कल्कि 2 के लिए बचा के रखा है जहां उनका रोल और बेहतर होगा, तो कुल मिलाकर ये फ़िल्म अगर आप पहले 50 मिनट देख सकते हैं तो आप सिनेमाघर की और रुख़ कर सकते हैं. ख़ामियों के साथ नाग अश्विन की उस मेहनत की तारीफ़ करनी पड़ेगी जहां उन्होंने माइथोलॉजी और भविष्य को जोड़ा है और एक काल्पनिक दुनिया रची है जिसके लिए मैं उन्हें आधा स्टार और दूंगा क्योंकि इस तरह की कहानी सोचना, डिज़ाइन करना और पर्दे पर उतारना मुश्किल काम है. मेरी तरफ़ से इस फ़िल्म के रेटिंग है 3 स्टार्स .
 

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