इंटरनेट और OTT के इस दौर में आज की नई पीढ़ी जुबली स्टार की अहमियत शायद ही समझ सकेगी. दरअसल, जुबली स्टार ये एक तमगा था, जो गुजरे जमाने के मशहूर एक्टर राजेंद्र कुमार को दिया गया था. क्योंकि इस सुपरस्टार की हर फिल्म थिएटर में 25 हफ्तों तक गुलजार रहती थी. आज के दौर में, जहां हर हफ्ते दर्जनों फिल्में और उससे दोगुनी वेब सीरीज रिलीज़ होती हैं, वहां जुबली स्टार होने की कल्पना भी मुश्किल है. हाल ही में, thecelebssquad24 नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट ने राजेन्द्र कुमार के फोटोज के साथ एक दिलचस्प रील बनाई है, जो उनके शानदार करियर की कहानी बयां करती है.
इसलिए जुबली स्टार पड़ा नाम
राजेन्द्र कुमार ने 60 के दशक की शुरुआत में कार्टर रोड पर एक भूतिया बंगला खरीदा और फिर उनकी किस्मत रातों-रात बदल गई. 1963 से 1966 के बीच आई उनकी सभी फिल्में हिट रहीं. उनका नाम तब जुबली कुमार के नाम से मशहूर हो गया, क्योंकि उनकी हर फिल्म थिएटर में 25 हफ्तों तक चलती थी.वे अपने समय के सबसे अमीर एक्टर्स में शामिल हो गए थे, लेकिन उन्हें कभी कोई अवॉर्ड नहीं मिला.
फिर 1970 में राजेश खन्ना के आगमन के साथ ही उनके करियर का सितारा ढलने लगा. अब उन्हें सपोर्टिंग रोल्स के ऑफर मिलने लगे और आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी. 1980 में, उन्होंने अपने बेटे कुमार गौरव को लॉन्च करने का फैसला किया. कुमार गौरव की पहली फिल्म "लव स्टोरी" सुपरहिट रही, लेकिन उसके बाद उनकी कोई भी फिल्म नहीं चली.
आखिरी दिनों में बेचना पड़ा था बंगला
बेटे के लिए लगातार फिल्में बनाने के चलते राजेन्द्र को अपना बंगला भी बेचना पड़ा. उन्होंने 60 हजार में अपना बंगला राजेश खन्ना को बेच दिया और उस रात रोते रहे.68 की उम्र में उन्हें ब्लड कैंसर हुआ, लेकिन राजेन्द्र ने अपनी शर्तों पर जीने का फैसला किया. दवा खाने से उन्होंने मना कर दिया और अपने बेटे के जन्मदिन की अगली रात हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई.
इस तरह, एक अमीर सुपरस्टार की जिंदगी का अंत बेहद दर्दनाक रहा. ये कहानी न केवल उनके संघर्ष और स्टारडम की है, बल्कि ये कहानी जिंदगी के चढ़ाव और उतार की है. ये कहानी जिंदगी में मिलने वाली सफलता और असफलता की भी है. ये कहानी हमें ये भी बताती है कि ऊंचे से ऊंचे मुकाम पर पहुंचने के बाद भी संघर्ष कैसे जारी रहता है.