फिल्मों-वेब सीरीज की शूटिंग में आई तेजी, मुश्किलों में आए देसी कामगार ! विदेशियों को दिया जा रहा है सबसे ज्यादा काम ?

क्या विदेशी प्रतिभाओं को भारतीय फ़िल्म जगत तेज़ी से भर्ती कर रहा है और कई बिना उपयुक्त वीज़ा के काम के रहे हैं? ऐसे आरोप फिल्म कर्मचारियों के संघों ने लगाए हैं. दावा कर रहे हैं रोज़गार की चुनौतियों के बीच विदेशियों के कारण भारतीय वर्करों के लिए यह बड़ी मुसीबत बनी है.

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फिल्मों-वेब सीरीज की शूटिंग में आई तेजी, मुश्किलों में आए देसी कामगार
नई दिल्ली:

क्या विदेशी प्रतिभाओं को भारतीय फ़िल्म जगत तेज़ी से भर्ती कर रहा है और कई बिना उपयुक्त वीज़ा के काम के रहे हैं? ऐसे आरोप फिल्म कर्मचारियों के संघों ने लगाए हैं. दावा कर रहे हैं रोज़गार की चुनौतियों के बीच विदेशियों के कारण भारतीय वर्करों के लिए यह बड़ी मुसीबत बनी है. टीवी-सीरिज़ के सेटों पर शूटिंग तेज़ी से बढ़ी है तो पिछले कुछ मुद्दे फिर से चर्चा में आए गए हैं. जिसके लेकर ऐसी चर्चा है कि विदेशी कलाकारों, तकनीशियनों को काम देने के चलन में फिल्म उद्योग में देसी वर्करों का रोज़गार छिन रहा है. 

ऐसी आशंकाओं  को भांपते हुए और बिना उपयुक्त ‘वर्क वीजा' के काम कर रहे विदेशियों को लेकर फिल्म कर्मचारियों के संघ फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्ल्यूआईसीई) और भाजपा चित्रपट जैसी फिल्म यूनियनों ने आवाज़ उठायी है. ऐसा दावा है कि बॉलीवुड में बड़ी संख्या में विदेशियों को जूनियर कलाकार, मेकअप आर्टिस्ट, हेयर स्टाइलिस्ट, डांसर, एक्शन निर्देशक, स्टंटमैन, पोशाक डिजाइनर, कला निर्देशक और तकनीशियन के रूप में काम पर रखा जा रहा है. आरोप है कि इनमें से कई, विदेशी वीजा मानदंडों का उल्लंघन करते हुए भारत में गैरकानूनी तौर पर काम कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर ब्रिटेन, रूस और उज्बेकिस्तान जैसे देशों से बताए जा रहे हैं. 

एफडब्ल्यूआईसीई के अध्यक्ष बीएन तिवारी ने कहा है कि बड़ी संख्या में आ रहे हैं बिना उपयुक्त वीज़ा के. पुलिस के साथ मिलकर कार्रवाई कर रहे हैं. विदेशीयों की वजह से हमारा टैलेंट रोज़गार खो रहा है. यह बहुत ग़लत है. डीसीपी को मिलने वाले हैं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस जी को भी मिलेंगे. लिखित अनुरोध फिर करेंगे कि कार्रवाई हो. आंदोलन जारी रखेंगे. बहुत लोग वीज़ा ख़त्म होने पर भी काम कर रहे हैं. गौरतलब है कि विदेशियों को काम देने का मुद्दा पुराना है लेकिन रोज़गार की चुनौतियों के बीच यूनियन की ओर से इसे फिर उठाया गया है.क्योंकि भारतीय सिनेमा बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार देता है और यह मौक़ा यहीं के लोगों को ऐसे कठिन समय में मिले यह इनकी मांग है.

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