मां ने बेटी को बनाया सुपरस्टार, बेटी ने तोड़ा मां का दिल, भागकर की शादी, मिला जिंदगी भर का गम

1970  में हिंदी सिनेमा में एंट्री लेने वाली मॉडर्न एक्ट्रेस जीनत अमान आज 73 की उम्र में भी मॉडर्न हैं. एक बार एक्ट्रेस के इंस्टाग्राम अकाउंट पर जाएंगे तो आपको पता चलेगा ग्लैमर किसे कहते हैं.

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इस बच्ची को पहचाना ?
नई दिल्ली:

1970  में हिंदी सिनेमा में एंट्री लेने वाली मॉडर्न एक्ट्रेस जीनत अमान आज 73 की उम्र में भी मॉडर्न हैं. एक बार एक्ट्रेस के इंस्टाग्राम अकाउंट पर जाएंगे तो आपको पता चलेगा ग्लैमर किसे कहते हैं. कुछ ऐसा ही जलवा था जीनत का 70 के दशक के सिनेमा में, लेकिन पर्सनल लाइफ की बात करें तो एक्ट्रेस ने एक दफा अपनी मां का दिल दुखा दिया था. जीनत ने एक साल पहले एक किस्सा शेयर किया था. इसमें एक्ट्रेस ने बताया था कैसे उन्होंने घर से भागकर अपनी मां का दिल तोड़ दिया था. जब जीनत ने एक्ट्रेस बनने का फैसला लिया था, तो उनकी मां को नौकरी छोड़नी पड़ गई थी, ताकि सेट पर उनके साथ रह सके और उनकी देखरेख कर सके.

जब जीनत ने किया मां को याद
जीनत की मां का नाम वर्धिनी शारवाचर और पिता का नाम अमानुल्लाह खान था. अपने इस पोस्ट में जीनत ने पेरेंट्स के साथ-साथ अपनी मां के जर्मन पति की भी तस्वीर शेयर की थी. इस पोस्ट में उन्होंने अपनी मां को याद किया. अपने इस पोस्ट में एक्ट्रेस ने लंबा चौड़ा नोट भी लिखा, जिसमें वह अपनी मां के बारे में बता रही हैं. एक्ट्रेस ने लिखा, 'हर रविवार, एक शुभचिंतक अपने आर्काइव से मुझे प्यारी-प्यारी तस्वीरें भेजता है, जिन्हें आप जीनत अमान की यादें कह सकते हैं, इस रविवार मुझे मां की दो तस्वीरें मिलीं, जिसमें वह मेरे सगे और सौतेले पिता के साथ हैं, मेरी लाइफ में मेरी मां से असाधारण महिला कोई नहीं हैं, वो मेरा खूब ध्यान रखती थीं, वह समय से आगे थीं, खूबसूरत थी और शालीन भी'.
 

मां का तोड़ दिया था दिल
देव आनंद की एक्ट्रेस ने आगे लिखा, 'मां 50 के दशक के करीब पिता से अलग हो गईं और एक नौकरी करने लगीं, मुझे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया, मां मुझसे मिलने आती थी और तोहफे लाती थी, मैंने एक्ट्रेस बनने का मन बनाया और मां ने मुझे प्रोटेक्ट करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी, मेरे सभी प्रोजेक्ट खुद डील करती, मेरी कमाई मैनेज करतीं, मेरा टिफिन यहां तक कि मुझे डायलॉग भी सिखातीं और मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ाती थीं, लेकिन मां का दिल तब टूटा जब मैं घर से भाग गई , मां कहती थी कि उन्हें मेरे लायक कोई लड़का मिला ही नहीं, जब मेरे बेटे का जन्म मां के जन्मदिन वाले दिन हुआ तो चीजें ठीक हुईं, मां 1995 में चल बसी थी, तो मुझे लगा कि मेरा सुरक्षा कवच हट गया, मां के बिना मैं अधूरी थी, क्योंकि उनके साथ मुझे सिक्योर फील होता था'.

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