गरीबी में हुआ जन्म, कहलाया हीरो नंबर 1, राजनीति ने खत्म किया फिल्मी करियर...जानते हैं कौन है वो?

80 के दशक में कई बड़े हीरो ने पर्दे पर अपने एक्शन और लुक्स से दर्शकों का दिल जीता, लेकिन 1980 में जब पहली बार गोविंदा ने सिनेमा के पर्दे पर एंट्री ली, तो देखते ही देखते दर्शकों के दिलोदिमाग पर छा गए. अभिनेता ने अपने करियर के पीक पर साल में 15-15 फिल्में साइन की.

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हीरो नंबर वन के लिए लकी साबित नहीं हुई राजनीति

बॉलीवुड में जब भी डांस और कॉमेडी की बात होती है, तो सबसे पहला नाम 'चीची' यानी गोविंदा का आता है. 80 और 90 के दशक में गोविंदा का जलवा ऐसा था कि बड़े-बड़े सुपरस्टार्स भी उनके सामने फीके पड़ जाते थे. कल गोविंदा अपना 62वां जन्मदिन मनाएंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि करोड़ों दिलों पर राज करने वाले इस 'हीरो नंबर 1' की जिंदगी कभी तंगहाली में गुजरी थी? अभिनेता का जन्म गरीबी में हुआ, जब उनके परिवार और पिता हवेली से चॉल में शिफ्ट हुए. अभिनेता के पिता अरुण आहूजा 1940 के दशक के अभिनेता थे जिन्होंने 'औरत' और 'एक ही रास्ता' जैसी फिल्मों में काम किया था.

अभिनेता के पिता ने फिल्में प्रोड्यूस की और यही कारण था जिसकी वजह से वे अपने परिवार के साथ चॉल में शिफ्ट हुए. अभिनेता की फिल्में डूबने लगीं और उनका करियर भी. इन्हीं दुख और परेशानी के समय गोविंदा का जन्म हुआ.

गोविंदा को उनके घर में प्यार से 'चीची' बुलाते हैं. ये प्यारा नाम उनकी मां ने उन्हें दिया क्योंकि वे घर में सबसे छोटे थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अभिनेता की मां का मानना था कि वे भगवान श्री कृष्ण की तरह सारी परेशानी को सबसे छोटी उंगली पर उठा लेंगे और वैसा ही हुआ. अपने परिवार को गरीबी से निकालने में गोविंदा का बड़ा हाथ रहा.

90 के दशक का वो 'स्वर्ण युग

80 के दशक में कई बड़े हीरो ने पर्दे पर अपने एक्शन और लुक्स से दर्शकों का दिल जीता, लेकिन 1980 में जब पहली बार गोविंदा ने सिनेमा के पर्दे पर एंट्री ली, तो देखते ही देखते दर्शकों के दिलोदिमाग पर छा गए. अभिनेता ने अपने करियर के पीक पर साल में 15-15 फिल्में साइन की, लेकिन उनकी शुरुआती जिंदगी और करियर दोनों संघर्ष से भरे थे. हिम्मत और मेहनत के जरिए इंसान पहाड़ को भी झुका सकता है, इस कहावत को गोविंदा ने सार्थक किया.

सुपरस्टार गोविंदा

1986 में आई फिल्म 'इल्जाम' से उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन साल 1990 का दशक अभिनेता का बेहतरीन साल रहा क्योंकि उनकी बैक टू बैक कई फिल्में रिलीज हुईं. इसे उनके करियर का स्वर्णिम काल कहा गया. उनकी 'हीरो नंबर 1', 'साजन चले ससुराल', 'राजा बाबू', और 'कुली नंबर 1' जैसी फिल्में सुपरहिट हुईं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अपने सफल करियर के समय अभिनेता एक फिल्म का 1 करोड़ रुपये चार्ज करते थे.

डांस के लिए देखते थे जावेद जाफरी के वीडियो

करियर की शुरुआत में अभिनेता को एक्टर बनना था लेकिन उनसे डांस सीखने के लिए कहा गया. जावेद जाफरी के शो 'बूगी-वूगी' में अभिनेता ने खुलासा किया था कि उन्हें जावेद जाफरी का वीडियो दिखाकर डांस सीखने की सलाह दी गई थी और उनके वीडियो देखकर ही उन्होंने शुरू में डांस सीखा था, लेकिन बाद में कोरियोग्राफर सरोज खान ने उन्हें डांस की तालीम दी.

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राजनीति ने डुबो दी फिल्मी नैया

साल 2004 में अभिनेता ने राजनीति में कदम रखा. वे कांग्रेस में शामिल हुए और नॉर्थ मुंबई से चुनाव जीता और इसके बाद फिल्मी करियर में गिरावट का दौर शुरू हो गया. अभिनेता ने खुद स्वीकारा कि राजनीति में आने की वजह से उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली और पार्टी के कुछ राजनेता ही उनके दुश्मन बन गए थे. अभिनेता ने ये तक कहा था कि उनकी फिल्मों को राजनेताओं के जरिए रिलीज होने से रोका गया.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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