इंटिमेसी कॉर्डिनेटर्स से लेकर वैनिटी वेन की कमी तक, हेमा कमेटी की रिपोर्ट के बाद कितनी बदलेगी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ?

मी टू शुरू तो सोशल मीडिया पर हुआ था लेकिन एक आंदोलन की तरह फैलता चला गया और एक्ट्रेस ने अपने साथ हुए एक्सप्लोईटेशन के बारे खुलकर बात की. जिसके बाद बहुत सी हस्तियों का भविष्य भी दांव पर लग गया.

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जानें कितनी सेफ है हिंदी एंटरटेनमेंट इंड्स्ट्री
नई दिल्ली:

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट और महिलाओं के हालात पर उठे सवालों की आंच अब बॉलीवुड तक आ रही है. बॉलीवुड ऐसी फिल्म इंडस्ट्री है जहां इस तरह के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. खासतौर से साल 2018 में. जब मी टू मूवमेंट ने जोर पकड़ा था और कई दिग्गज एक्टर्स और हस्तियां के चहेरे बेनकाब हुए थे. मी टू शुरू तो सोशल मीडिया पर हुआ था लेकिन एक आंदोलन की तरह फैलता चला गया और एक्ट्रेस ने अपने साथ हुए उत्पीड़न के बारे खुलकर बात की. जिसके बाद बहुत सी हस्तियों का भविष्य भी दांव पर लग गया. इसके बाद ये माना गया कि मी टू मूवमेंट के बाद से बॉलीवुड में हालात ठीक हो चुके हैं.

मी टू के बाद कितना बदला बॉलीवुड?

ताजा मामले के बाद इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे में बॉलीवुड सेलिब्रिटीज से बात की. इस चर्चा में एक फिल्म एग्जीक्यूटिव ने कहा कि मी टू मूवमेंट के बाद से फिल्म सेट पर एक फियर फैक्टर रहता है. ये फियर फैक्टर इसलिए नहीं रहा कि लोगों को जेल जाने का डर है. बल्कि ये डर अपनी रेपुटेशन चौपट होने का ज्यादा है. उस फिल्म एग्जीक्यूटिव ने ये भी दावा का किया कि अब भी ये मेल डॉमिनेटिंग फील्ड ही है.

मेजर ओटीटी शो से सुर्खियों में आई एक पॉपुलर एक्ट्रेस ने इस बारे में कहा कि अक्सर कास्टिंग डायरेक्टर्स ये दावा करते हैं कि अब उनके कैबिन में सीसीटीवी कैमरा लग चुके हैं. एक अन्य एक्ट्रेस ने कहा कि डर तो है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है उत्पीड़न करने वाले लोगों ने दूसरे तरीके नहीं निकाले हैं. पावर गेम भी धड़ल्ले से जारी है. इसलिए अब वो पहले रोल देने की बात करते हैं और फिर कहीं मिलने का प्रस्ताव रखते हैं.

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सिर्फ दोस्त नहीं हो सकते

एक प्रोड्यूसर के उत्पीड़न का शिकार हो चुकी एक एक्ट्रेस ने इस बारे में कहा कि यहां सिर्फ दोस्त होना काफी नहीं होता. एक्ट्रेस ने अपनी बात को कुछ इस तरह समझाया कि दिनभर घंटो तक शूट करने के बाद किसी से भी ज्यादा बातचीत होने लगती है. जिसका गलत मतलब निकाल लिया जाता है. आसपास वालों को लगता है कि आप किसी को पसंद कर रहे हैं. इसका कई बार लोग गलत फायदा भी उठाते हैं. एक एक्ट्रेस ने ये तक बताया कि किस तरह एक बार उसे उसके ही को एक्टर ने गलत समझ लिया था जब वो उसके साथ अपने रूम में बैठ कर बात कर रही थी.

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जीरो टॉलरेंस की नीति

मी टू के बाद कुछ प्रोडक्शन हाउस ने ऐसी शिकायतों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस रखना भी शुरू कर दिया है. जिसके तहत अगर किसी डायरेक्टर, राइटर या कास्टिंग डायरेक्टर की यौन शोषण में या गलत पेशकश करने की शिकायत मिलती है तो उस पर तुरंत एक्शन लिया जाता है और उसे बाहर कर दिया जाता है. इस बारे में एक एक्ट्रेस ने अपने एक्सपीरियंस साझा करते हुए बताया कि उसे किसी शख्स के बेड बिहेवियर के बारे में सेट पर हुई चर्चाओं से पता चला. बाद में ये भी पता चला कि उस शख्स को निकाल दिया गया है.

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इंटिमेट सीन के नाम पर धोखा

एक एक्ट्रेस ने ये भी बताया कि छोटे प्रोजेक्ट्स में इंटिमेसी कॉर्डिनेटर या डायरेक्टर के न होने की कमी भी खलती है. एक्ट्रेस ने बताया कि कॉन्ट्रेक्ट में लिखा जाता है कि ऐसा कोई सीन नहीं होगा लेकिन आर्टिस्टिकली उसे परफॉर्म किया जाएगा. लेकिन उसे शूट करते करते कई बार डायरेक्टर अपनी फ्रस्ट्रेशन निकालने लगते हैं. इस एक्ट्रेस ने सवाल किया कि जब सीन की जरूरत नहीं है तो शूट करना ही क्यों है.

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जूनियर आर्टिस्ट की परेशानी

एक छोटे प्रोजेक्ट से जुड़ी एक्ट्रेस ने बताया कि उस सेट पर छह फीमेल वर्कर थीं. पॉपुलर और सीनियर होने के नाते उसे वेनिटी वैन मिली. बाकी पांच को कोई सुविधा नहीं दी गई. तब उसने खुद ये पहल की कि बाकी एक्ट्रेस उसकी वेनिटी ही यूज कर लें. उसने सवाल उठाए कि ऐसे में महिलाएं परेशान होती हैं और उन्हीं पलों का फायदा उठा कर उनका शोषण भी होता है.

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