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गंगूबाई, काशीबाई से लेकर पारो तक, जब संजय लीला भंसाली की फिल्मों ने दिखाया महिलाओं का अदम्य हौसला

संजय लीला भंसाली इंडियन सिनेमा के सबसे बेहतरीन फिल्ममेकर्स में से एक हैं, जिनकी भव्य सोच और दमदार स्टोरीटेलिंग ने इंडस्ट्री को एक अलग ऊंचाई दी है.

गंगूबाई, काशीबाई से लेकर पारो तक, जब संजय लीला भंसाली की फिल्मों ने दिखाया महिलाओं का अदम्य हौसला
संजय लीला भंसाली की ये फिल्में देती हैं महिलाओं को हौंसला
नई दिल्ली:

संजय लीला भंसाली इंडियन सिनेमा के सबसे बेहतरीन फिल्ममेकर्स में से एक हैं, जिनकी भव्य सोच और दमदार स्टोरीटेलिंग ने इंडस्ट्री को एक अलग ऊंचाई दी है. उनकी फिल्मों की खास बात सिर्फ उनकी भव्यता नहीं, बल्कि वो किरदार हैं, जो सालों तक लोगों के दिलों में बसे रहते हैं.भंसाली की फिल्मों में जो सबसे खास चीज़ है, वो है उनकी महिला किरदारों की ताकत. उनकी फिल्मों की औरतें न सिर्फ खूबसूरत और ग्रेसफुल होती हैं, बल्कि मजबूत, साहसी और प्रेरणादायक भी होती हैं. उनके संघर्ष, उनकी मजबूती, उनकी भावनाएं- हर चीज़ को भंसाली अपने अलग अंदाज में पेश करते हैं, जिससे उनके किरदार हमेशा यादगार बन जाते हैं. इस विमेंस डे पर आइए, उनकी फिल्मों की सबसे दमदार और आइकॉनिक महिला किरदारों को सलाम करते हैं, जिन्होंने बड़े पर्दे पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है!

पद्मावत में पद्मावती

संजय लीला भंसाली की पद्मावत में रानी पद्मावती सिर्फ एक रानी नहीं, बल्कि सम्मान, हिम्मत और बलिदान की जीती-जागती मिसाल हैं. उन्होंने हर चुनौती का सामना बिना झुके, बिना डरे किया और साबित कर दिया कि इज्जत किसी भी डर से बड़ी होती है. भंसाली ने उनकी कहानी को शानदार विजुअल्स और गहरी भावनाओं के साथ पेश किया, जिससे वो सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि हमेशा के लिए अमर आइकन बन गईं. उनका बलिदान अडिग हौसले की ताकत को दिखाता है, जो इतिहास में हमेशा जिंदा रहेगा.

राम लीला में लीला

राम-लीला की लीला सिर्फ एक आशिक नहीं, बल्कि जुनून और बगावत की मिसाल थी. भंसाली ने उसे बेखौफ, बिंदास और अपने उसूलों पर अडिग दिखाया- जो प्यार भी दिल खोलकर करती है और लड़ना भी जानती है. परंपराओं और दुश्मनी के बीच भी उसने अपने दिल की सुनी, प्यार और दर्द को बराबर शिद्दत से जिया. लीला बस मोहब्बत करने वाली नहीं, बल्कि दिल की जंगजू थी, जो अपनी मोहब्बत के लिए सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार थी.


बाजीराव मस्तानी में काशीबाई

बाजीराव मस्तानी में संजय लीला भंसाली ने काशीबाई को सिर्फ एक दुखी पत्नी नहीं, बल्कि मजबूत, सशक्त और गरिमा से भरी औरत के रूप में दिखाया. उनका दर्द जितना गहरा था, उनका प्यार उतना ही सच्चा.काशीबाई का किरदार बदले की नहीं, बल्कि समर्पण और आत्मसम्मान की कहानी है. वो बाजीराव से बेइंतहा प्यार करती थीं, लेकिन खुद को कभी कमजोर नहीं बनने दिया. उनकी खामोश मजबूती ने उन्हें भंसाली की सबसे यादगार और दिल छू लेने वाली किरदारों में से एक बना दिया.

गंगुबाई काठियावाड़ी में गंगुबाई

गंगूबाई काठियावाड़ी में संजय लीला भंसाली ने अपनी अब तक की सबसे मजबूत और बेखौफ हीरोइन को गढ़ा. गंगूबाई सिर्फ हालात की मारी हुई औरत नहीं थी, बल्कि जिसने दर्द को ताकत में बदला और अपने हक के लिए लड़ी. हर सीन में उसकी दमदार मौजूदगी और जलते हुए तेवर दिखते हैं- चाहे वो उसकी आग उगलती स्पीच हो या समाज से इज्जत और इंसाफ छीन लेने का जज़्बा. भंसाली की नज़र ने इस कहानी को सिर्फ प्रेरणादायक नहीं, बल्कि आइकॉनिक बना दिया. गंगूबाई हमेशा याद रखी जाएगी- हौसले, हिम्मत और बगावत की पहचान बनकर.

देवदास में चंद्रमुखी

देवदास में संजय लीला भंसाली ने चंद्रमुखी को सिर्फ एक तवायफ नहीं, बल्कि निस्वार्थ प्रेम और अदम्य गरिमा की मिसाल के रूप में पेश किया. वो चमकदार, रहमदिल और बेइंतहा वफादार थी- ऐसी जो प्यार में कुछ पाने के लिए नहीं, बल्कि बस देने के लिए जीती थी. भंसाली ने अपने भव्य विजुअल्स और दिल छू लेने वाले डांस सीक्वेंस के ज़रिए उसकी पीड़ा और गरिमा को संजोया. वो ना किसी की मंजूरी की मोहताज थी, ना किसी पहचान की, बल्कि उसका प्यार ही उसकी सबसे बड़ी ताकत थी. इस तरह से चंद्रमुखी भंसाली की सबसे खूबसूरत और यादगार किरदारों में से एक बनी रहेगी.

देवदास में पारो 

देवदास में भंसाली ने पारो को सिर्फ एक प्यार में पड़ी औरत नहीं, बल्कि प्यार और त्याग की मिसाल बनाया. वो जुदा होकर भी देवदास को दिल से कभी अलग नहीं कर पाई. भव्य सेट, शानदार कॉस्ट्यूम और गहरे इमोशन्स के साथ भंसाली ने उसकी मासूम लड़की से जिम्मेदार औरत बनने की कहानी दिखाई. हालात ने उसे दूर कर दिया, लेकिन उसका प्यार कभी कम नहीं हुआ, ये साबित करते हुए कि सच्चा प्यार साथ रहने का मोहताज नहीं होता. पारो का खामोश दर्द और अटूट मोहब्बत उसे भंसाली की सबसे यादगार हीरोइनों में से एक बना देता है.

हीरामंडी में मल्लीकाजान 

हीरामंडी में संजय लीला भंसाली ने मल्लिकाजान को सिर्फ एक तवायफों की मालकिन नहीं, बल्कि हिम्मत, समझदारी और ताकत की मिसाल दिखाया. वो अपनी दुनिया की हुक्मरान थी, लेकिन उससे भी ज़्यादा, उन औरतों की हिफाज़त करने वाली जो उस पर निर्भर थीं. भंसाली ने उसे शक्तिशाली और भावुक दोनों रूपों में दिखाया- जो रुतबे से राज करती है, लेकिन अपने त्याग का दर्द भी छुपाए रखती है. शानदार सेट, दमदार कहानी और गहरे इमोशन्स के साथ मल्लिकाजान सिर्फ एक मालकिन नहीं, बल्कि एक जिंदा जंग थी, जो हालात से कभी नहीं टूटी.

हीरामंडी में बिबोजान

हीरामंडी में संजय लीला भंसाली ने बिबोजान को नर्मी, मजबूती और अधूरे अरमानों का मेल दिखाया. सत्ता के खेल में फंसी हुई, लेकिन फिर भी अपनी इज्जत और हौसले के साथ खड़ी रही. भंसाली ने उसे त्याग और छुपे हुए दर्द की निशानी बनाया- जहां प्यार एक ख्वाब था और जज़्बात एक लग्जरी. उसकी खामोशी में भी एक गहरी कहानी थी, जो उसे हीरामंडी की सबसे खास और असरदार किरदारों में से एक बनाती है.

यही दिखाता है कि संजय लीला भंसाली कैसे अपनी महिला किरदारों को जान डालकर परदे पर उतारते हैं- निडर, दमदार और यादगार. वो सिर्फ फिल्मों में ही नहीं, बल्कि असल ज़िंदगी में भी औरतों का सम्मान और समर्थन करते हैं. अपनी माँ के नाम को खुद से जोड़ना भी उनकी गहरी इज़्जत और शुक्रगुज़ारी का प्रतीक है.

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