क्या आपने कभी सोचा है कि कोई भी फिल्म हिट या फ्लॉप कैसे होती है. इसमें कितना फायदा और कितना नुकसान होता है. फिल्म बनने के बाद सिनेमाघरों तक कैसे पहुंचती है. अगर नहीं तो बता दें कि हर महीने कई फिल्में फ्लॉप होने के बावजूद अगले महीने उतनी या ज्यादा ही फिल्में आ जाती हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि फिल्में भले ही फ्लॉप हो जाएं लेकिन बिजनेस घाटे का नहीं होता है. ऐसे में आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब और जानते हैं कि कोई फिल्म कैसे कमाई करती है, उसके बिजनेस की स्ट्रैटजी क्या होती है, जिससे उसे फ्लॉप नहीं माना जाता है...
सिनेमाघरों तक कैसे पहुंचती है कोई फिल्म
किसी फिल्म को बनाने में डायरेक्टर, स्टार, कोरियोग्राफर और प्रोड्यूसर की अहम भूमिका होती है. तब फिल्म बनकर कंप्लीट हो जाती है तो इसे सिनेमाघरों तक लाने की जिम्मेदारी डिस्ट्रीब्यूटर्स की होती है. उस फिल्म को बनाने में जितना पैसा लगता है, उसे प्रोड्यूसर लगाता है और फिर फिल्म बनने के बाद डिस्ट्रीब्यूटर तक लेकर जाता है. जहां से डिस्ट्रीब्यूटर उस फिल्म को सिनेमाघरों की स्क्रीन तक पहुंचाते हैं.
फिल्म को सिनेमाघरों तक कैसे पहुंचाते हैं डिस्ट्रीब्यूटर
फिल्म को खरीदने के बाद डिस्ट्रीब्यूटर राज्यों और फिल्म सर्किट में बेचते हैं या फिर सब-डिस्ट्रीब्यूर को दे देते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि फिल्म बनाने वाले प्रोड्यूसर या प्रोडक्शन कंपनी खुद की डिस्ट्रीब्यूशन का काम कर लेती हैं. जैसे- यशराज फिल्म्स, धर्मा प्रोडक्शन जैसे कई हाउस अपनी फिल्म बनने के बाद खुद ही डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेदारी उठाते हैं.
फिल्म हिट या फ्लॉप होने पर कितना फायदा-कितना नुकसान
कोई फिल्म हिट है या फ्लॉप यह उसके कलेक्शन के आधार पर होता है. हालांकि, फ्लॉप फिल्में भी अपनी पूरी रकम वसूल लेती हैं. सिनेमा को समझने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि फ्लॉप फिल्में प्रीसेल्स से कमाई करती हैं. प्रोड्यूसर रिलीज के पहले फिल्मों के राइट्स बेचकर पैसा निकाल लेते हैं. म्यूजिक राइट्स, OTT प्लेटफॉर्म राइट्स, सैटेलाइट राइट्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स राइट्स से फिल्मों की कमाई होती है.
फिल्म मेकर्स या डिस्ट्रीब्यूटर्स किसे ज्यादा नुकसान
फिल्म मेकर्स उसकी लागत से ज्यादा में डिस्ट्रीब्यूटर को बेच देते हैं. फिल्म हिट हुई तो डिस्ट्रीब्यूटर को फायदा, फ्लॉप हुई तो नुकसान होता है. मतलब मेकर्स नुकसान से पूरी तरह सेफ रहते हैं. कुछ डिस्ट्रीब्यूटर को फिल्म के प्रॉफिट से कुछ कमीशन मिलता है, तब फिल्म चलने या न चलने का रिस्क मेकर्स पर होता है. एक तरीका यह भी होता है कि डिस्ट्रीब्यूटर एक तय रकम मेकर्स को दे देते हैं. फिर फिल्म हिट हो या फ्लॉप उसके मुनाफे का कुछ हिस्सा रॉयलटी के तौर पर मेकर्स को दे देते हैं. इसमें फिल्म के नुकसान का रिस्क मेकर्स और डिस्ट्रीब्यूटर पर बराबर-बराबर होता है.
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