नब्बे के दशक का एड यानी दिल को छू लेने वाला म्यूजिक और दिल पर असर छोड़ जाने वाले जज्बात. ऐसे ही कुछ एड हुआ करते थे जो चंद समय में ही ऐसे जज्बात बयां कर जाते थे कि हर चीज एक इमोशन बन जाती थी. उस दौर में रिमोट कंट्रोल भी हाथ में नहीं हुआ करता था जो चैनल बदला जा सके. सो उन एड्स को देखना मजबूरी माना जा सकता है, लेकिन जिस खूबसूरती से हर एड में एक एक जज्बात पिरोया जाता था उसे देखकर कभी चैनल बदलने का मन होता भी नहीं था. यही वजह है कि उस दौर के एड अब स्क्रीन पर दिखते हैं तो नब्बे के दशक में बच्चे रहे लोग भी अपनी फीलिंग साझा करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं.
पार्लेजी का ऐड
एक बार फिर सोशल मीडिया पर जज्बातों का सैलाब उमड़ा है पार्लेजी का ऐड देखकर. पार्लेजी के 25 सेकंड के इस ऐड में दो बच्चे दिखते हैं. एक बच्चा बैग टांग कर स्कूल जाता दिखाई देता है. उसके एक हाथ में बिस्किट है और दूसरे हाथ में पार्लेजी का पूरा पैकेट. रास्ते में उसे एक बच्ची नजर आती है, जो ललचाई नजरों से उसके बिस्किट की तरफ देख रही होती है. बच्चा रुक कर पहले उसे एक बिस्किट ऑफर करता है. लेकिन बच्ची कुछ रिएक्ट नहीं करती, जिसके बाद बच्चा उसे पूरा पैकेट ऑफर करता है और बच्ची झट से उस पैकेट को ले लेती है. बच्चा मुस्कुराते हुए अपनी राह पर निकल जाता है.
वो गोल्डन एरा था...
इस ऐड को देखकर उस दौर के बच्चे फिर भावुक हो गए हैं. एक यूजर ने कमेंट किया कि वो गुड गोल्डन एरा यानी कि सुनहरा युग था. कुछ लोगों यादों के गलियारों में रोते हुए इमोजी के साथ गुजर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा कि अपना बचपन मासूमियत से भरपूर था. कुछ लोगों को पार्लेजी के पैकेट का साइज याद आ रहा है. एक यूजर ने लिखा कि अब दाम ज्यादा हैं और बिस्किट कम.