Doordarshan Old Serial: इन दिनों टीवी चैनल्स पर सीरियल्स की भरमार है. सिर्फ चैनल पर ही क्यों, ओटीटी के इस दौर में तो वेब सीरीज के एपिसोड्स की भी भरमार हैं. लेकिन दूरदर्शन (Doordarshan) पर आने वाली सीरियल्स की जगह कोई नहीं ले सकता. दूरदर्शन पर शुरुआती दौर में आने वाले सीरियल्स का जो दौर रहा है वो बमुश्किल ही किसी और सीरियल के साथ नजर आता है. आम लोगों से जुड़ी कहानी. जिंदगी के हर जज्बाती रंग से सजे एपिसोड और अपने से लगने वाले किरदार, इन सीरियल्स की जान हुआ करते थे. ऐसा ही एक सीरियल था बुनियाद (Buniyaad). 1986 में दूरदर्शन पर आने वाले इस सीरियल में विभाजन के बाद होने वाले दर्द को साझा किया गया था.
ऐसी थी कहानी
बुनियाद (TV Serial Buniyaad) का प्लॉट 1916 से लेकर 1978 के बीच का रखा गया था,जिसमें एक परिवार की कहानी थी जो लाहौर के बिच्छोवाली गली में रहा करता था. विभाजन के बाद वो परिवार भारत आया, यहां उसे पाकिस्तान की संपत्ति के आधार के रूप में लाजपत नगर में एक घर मिला. उसके बाद ये परिवार नए देश, नई जगह पर किस तरह दिन गुजारता है, खुद को एडजस्ट करता है और साथ मिलकर रहता है. यही कहानी है सीरियल की. इस प्लॉट पर बेस्ड सीरियल बुनियाद इस कदर लोगों के बीच हिट था कि इसे छोटे पर्दे का शोले भी कहें तो गलत नहीं होगा.
ये थे किरदार
सीरियल की कहानी हवेलीराम के परिवार की जिंदगी पर बेस्ड थी. मास्टर हवेलीराम के किरदार को यादगार बनाया था आलोक नाथ ने. अनिता कंवर ने बहुत कम उम्र में ही 70 साल की महिला लाजवंती का रोल अदा किया था. कंवलजीत सिंह बुनियाद में सतबीर बने, दलीप ताहिल कुलभूषण के किरदार में दिखे. रमेश सिप्पी के इस सीरियल में उनकी दूसरी पत्नी किरण जुनेजा ने वीरनवाली का रोल अदा किया. विजयेंद्र घाटगे को लाला वृषभान का रोल मिला था. इस सीरियल में आलिया भट्ट की मम्मी सोनी राजदान भी दिखी थीं. एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने खुद ये बताया था कि सुलोचना का किरदार करते समय वो प्रेग्नेंट थीं और उसी हाल में पूरी सीरियल शूट किया था.