50 की उम्र के बाद करियर की शुरुआत, 225 फिल्मों में काम, लेकिन आखिरी समय में पाई-पाई को मोहताज हो गया था ये एक्टर

225 फिल्मों में काम करने वाले एक्टर बॉलीवुड में आने से पहले टेलरिंग का काम करते थे. उन्होंने आजादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया और तीन साल का वक्त जेल में बिताया था. हालांकि, एक दौर आया भी आया था, जब उनके पास दवा तक के पैसे नहीं बचे थे.

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जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर पाई-पाई को तरस गए थे 'रहीम चाचा'
नई दिल्ली:

'इतना सन्नाटा क्यों है भाई'...इस डायलॉग को सुन क्या आपको कुछ याद आया. क्या आप उस एक्टर को पहचान पाएं, जो आज भी हमारे दिलों में बसा हुआ है. हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड की आइकॉनिक फिल्म 'शोले' के किरदार 'रहीम चाचा' की. उनका ये डायलॉग आज भी हर जुबां से सुनने को मिल ही जाता है. सिनेमा का 'सन्नाटा' तोड़ने में महारत हासिल करने वाले 'रहीम चाचा' ने 50 साल की उम्र के बाद ही बॉलीवुड में करियर की शुरुआत की. करीब 225 फिल्मों में काम भी किया लेकिन अपने आखिरी समय में वो पाई-पाई को मोहताज हो गए थे. उनके पास दवाई खरीदने तक के पैसे नहीं थे. अगर आप अब भी उस एक्टर को अब तक पहचान नहीं पाएं तो चलिए बताते हैं आखिर हम किसी की बात कर रहे हैं.

एक दर्जी जिसके पास था सिनेमा का सन्नाटा तोड़ने का हुनर

हम बात कर रहे हैं अपने दमदार डायलॉग से हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करने वाले बेहतरीन एक्टर अवतार किशन हंगल यानी एके हंगल (AK Hangal) की. उनका जन्म 1 फरवरी, 1914 को पंजाब के सियालकोट में हुआ था. जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. कश्मीरी पंडित परिवार से आने वाले एके हंगल का पूरा बचपन पेशावर में बीता था. बहुत कम लोग जानते हैं कि एक्टिंग में करियर शुरू करने से पहले एके हंगल दर्जी हुआ करते थे. टेलरिंग कर अपना परिवार चलाते थे. 1936 से 1965 तक एक स्टेज आर्टिस्ट के तौर पर काम किया था.

आजादी की लड़ाई में 3 साल तक जेल

आजादी की लड़ाई में एके हंगल का अहम योगदान रहा था. 1929 से 1947 तक उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया. इसकी वजह से करीब तीन साल तक कराची की जेल में भी रहे. जेल से बाहर आने के बाद पूरे परिवार के साथ मुंबई में शिफ्ट हो गए. 

बॉलीवुड में ऐसे हुई एंट्री

एके हंगल की बॉलीवुड में तब एंट्री हुई, जब कई एक्टर रिटायरमेंट की सोचते हैं.  52 साल की उम्र में फिल्म 'तीसरी कसम' से उनका बॉलीवुड डेब्यू हुआ. उम्र ज्यादा थी तो उन्हें ज्यादातर रोल बुजुर्ग के ही मिलते थे. उनका दमदार अभिनय किसी भी सीन में जान डाल देता था. फिल्म 'शोले' के रहीम चाचा का डायलॉग, 'इतना सन्नाटा क्यों है भाई' उनमें से एक है.एके हंगल ने अपने करियर में करीब 225 फिल्मों में अभिनय किया. इनमें शोले, आईना, नमक हराम, मंजिल, प्रेम बंधन, हीर रांझा, अर्जुन, कोरा कागज, शौकीन, आंधी और परिचय जैसी फिल्में शामिल हैं. 

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आखिरी समय में पाई-पाई को हो गए थे मोहताज

एके हंगल उम्र के आखिरी पड़ाव पर अपने बेटे के साथ एक छोटे से घर में रहते थे. एक दौर ऐसा भी आया था, जब उनके पास दवाई खरीदने तक के पैसे नहीं बचे थे. तब कई कलाकारों ने उनकी मदद की. एक बार घर में बाथरूम में फिसलकर गिरने से उनकी जांघ की हड्डी टूट गई और पीठ में भी गहरी चोट आई थी. लगातार इलाज के बाद हालत बिगड़ती जा रही थी. आखिरकार 26 अगस्त, 2012 को एके हंगल इस दुनिया को छोड़कर चले गए. 

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