80 से 90 के दशक में गोविंदा, सलमान खान और माधुरी दीक्षित जैसे सुपरस्टार का दबदबा था. उन्हीं में से एक ऐसा सुपरस्टार था, जिन्हें एक समय में बांग्लादेश का अमिताभ बच्चन कहा जाता था. लेकिन भारत में उनकी पॉपुलैरिटी वहां के मुकाबले काफी कम थी. वह और कोई नहीं एक्टर चंकी पांडे हैं, जो अपने दौर के सबसे पॉपुलर एक्टर में गिने जाते हैं. तीन दशक के उनके करियर में उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर और हिट फिल्मों में काम किया. हालांकि कामयाबी सदा बहार रहे ऐसा जरुरी नहीं. इसका वह सबूत हैं. उनकी जिंदगी में एक ऐसा वक्त भी आया जब उन्हें भारी वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें भारत छोड़ना पड़ा.
वी आर युवा से बात करते हुए बेटी अनन्या पांडे के साथ चंकी पांडे ने स्ट्रगल के दिनों को याद किया और जब उनसे पूछा गया कि 90 के दशक में उनके करियर में गिरावट आने के बाद क्या उन्होंने कभी सोचा कि यह अंत है? तो एक्टर ने कहा, हां हां. अंत का मतलब यह म्यूजिकल चेयर जैसा चल रहा था. और जब गाना बंद होता तो मेरे पास बैठने के लिए कोई येजर नहीं थी. मतलब मेरी ब्लॉकबस्टर फिल्में थीं और यह आंखें के रिलीज होने के बाद की बात है, जो कि आइकॉनिक हिट थी. मेरे पास सच में कोई काम नहीं था. सिर्फ एक फिल्म जो मुझे मिली वह तीसरा कौन थी और उसके बाद मैं बिल्कुल खाली था.
आगे उन्होंने कहा, तो मैं बांग्लादेश चला गया और वहां फिल्में करने लगा. किस्मत से वहां किया काम चल गया और 4-5 साल तक मैंने वहां अपना घर बना लिया. लेकिन हां वह डरावना था. मैंने काम करना बंद नहीं किया. मैंने एक इवेंट कंपनी खोली और इवेंट्स करने लगा और रियल इस्टेट का काम शुरू किया. प्रॉपर्टी खरीदी. सोचिए घर घर जाकर मैं चीजें सही करने लगाथा . मैंने अपना ईगो अलग रखा और खुद से कहा मुझे सर्वाइव करना है. मैंने सभी चीजें की और मैंने उसमें बहुत सीखा. मेरा मतलब है कि मैं पूरी तरह से कंगाल हो चुका था.
अनन्या पांडे ने जब पूछा कि उनके पेरेंट्स ने मदद नहीं कि उस मुश्किल समय में तो एक्टर ने कहा, अगर आप लड़के हो और आपने अपना करियर शुरू किया है तो आप वापस जाकर उनसे यह नहीं कह सकते मुझे पैसे चाहिए.
इतने स्ट्रगल भरे करियर में चंकी पांडे ने तेजाब और आंखें जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में 80 के दशक में दीं. वहीं 2000 में उन्होंने अपने कॉमेडी रोल के कारण फैंस के दिलों में जगह बनाई.