गाजा से यूरोप तक का सिनेमाई आईना: संघर्षों में स्त्रियों की त्रासदी

युद्ध चाहे गाजा का हो या यूरोप का, सबसे गहरी चोट महिलाओं पर ही पड़ती है. कभी भोजन और सुरक्षा के बदले यौन शोषण. कभी पहचान और अस्तित्व खोने की त्रासदी. सिनेमा इन दर्दनाक सच्चाइयों का आईना बनकर हमें उनका भयावह यथार्थ दिखाता है.

विज्ञापन
Read Time: 9 mins
सिनेमा में युद्ध और महिलाएं
नई दिल्ली:

30 सितंबर को आई एसोसिएटेड प्रेस की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार, गाजा में गहराते मानवीय संकट के बीच कुछ महिलाओं ने बताया कि स्थानीय पुरुषों ने भोजन, पानी, आश्रय या नौकरी जैसे संसाधनों के बदले में उनसे यौन शोषण की मांग की. गोपनीयता के डर से गुमनाम रहीं छह महिलाओं ने अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया है कि कुछ पुरुषों ने स्पष्ट रूप से उनसे यौन मांगें कीं, कुछ ने शादी करने या एकांत में चलने के लिए कहा. मनोवैज्ञानिकों और सहायता समूहों ने बताया है कि युद्ध और विस्थापन के कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, खासकर जब महिलाएं अपने बच्चों के लिए भोजन और सुरक्षा के लिए बेताब हैं.

संयुक्त राष्ट्र और सहायता समूहों ने यौन शोषण के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति की बात तो कही है लेकिन सामाजिक कलंक और बदले की डर की वजह से कई मामले सामने आते ही नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के आंकड़ों के अनुसार 2023 में विश्व भर में अनुमानित 117.3 मिलियन लोग उत्पीड़न, संघर्ष और हिंसा के कारण जबरन विस्थापित हुए, साल 2018 की तुलना में यह 70 प्रतिशत अधिक है. जबरन विस्थापित आबादी का आधा हिस्सा महिलाएं और लड़कियां हैं और चार में से एक व्यक्ति 12 वर्ष से कम आयु का है.

एपी की इस रिपोर्ट के बारे में बात करें तो गाजा की जिस स्थिति को इसमें सामने लाया गया है, महिलाओं की वैसी स्थिति पिछले कई साल से दुनियाभर में युद्धों पर बन रही फिल्मों में हम देख सकते हैं, इनमें युद्ध और संसाधनों की कमी महिलाओं के शोषण को बढ़ावा देती हैं. हम ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में बात करेंगे. युद्ध से जुड़ी इन फिल्मों में जब भी अर्धनग्न स्त्री दिखाई गई है तो वह अश्लील नही सिर्फ उत्पीड़ित ही नजर आती है. वास्तविक दुनिया में अब भी इस तरह की घटनाएं, पुरुषों की यौन इच्छा और महिलाओं की त्रासदी पर गंभीरता से सोचने पर मजबूर करती हैं.

1. Black book युद्ध महिलाओं का अस्तित्व ही खत्म कर देता है
फिल्म Black Book साल 2006 में आई एक डच फिल्म है, यह द्वितीय विश्व युद्ध में नीदरलैंड्स में एक यहूदी महिला के प्रतिरोध और उसके यौन शोषण की कहानी है. 2008 के डच फिल्म फेस्टिवल के दौरान, इस फिल्म को तब तक की सर्वश्रेष्ठ डच फिल्म चुना गया था. युद्ध में स्त्री का सबसे बड़ा दर्द यही होता है कि उसे हर मोर्चे पर खोना पड़ता है. फिल्म की मुख्य पात्र रशेल के सामने ही नाव में उसका पूरा परिवार नदी में गोली मारकर खत्म कर दिया जाता है, यह दृश्य दिखाता है कि युद्ध कैसे एक महिला से उसका हर सहारा छीन कर उसे अकेला कर लेता है.

यह भी पढ़ें: तबाह गाजा में रोटी के बदले महिलाओं के सामने सेक्‍स की ये कैसी शर्मनाक शर्तें! 

वह अपनी पहचान छिपाने के लिए नाम, रूप और अतीत सब बदलने को मजबूर होती है, यानी वह खुद को ही खो देती है. रशेल द्वारा अपने शरीर के बालों को डाई कर उनका रंग बदलने वाला दृश्य इतना जानदार है कि उससे यह साबित हो जाता है कि युद्ध एक महिला को उसका अस्तित्व तक बदलने पर मजबूर कर सकता है. रशेल सैन्य अधिकारी के साथ संबंध बनाती है, फिल्म देखते यह लगता है कि महिलाओं को अपनी पहचान दिखाने के लिए इन सैन्य अधिकारियों के साथ संबंध बनाने ही पड़ते हैं, ये दृश्य महिलाओं के साथ व्यवहार के मामले में सैन्य बलों को भी कठघरे में खड़ा करता है.

यह भी पढ़ें: मेरे बच्चों से सब छीन लिया… जिंदा रहने की जंग लड़ती गाजा की एक बेवा की कहानी

Advertisement

एक दृश्य में रशेल को कैद के दौरान कई लोगों के बीच कपड़े उतारकर अपमानित किया जाता है, यह स्त्री से उसका सम्मान छिन जाने की भयावह झलक है. अपने साथी की मौत पर कांपते हुए उसका रुदन और 'यह सब कब खत्म होगा!' कहना, अंतहीन युद्ध में महिलाओं के ऊपर होने वाली यातनाओं को दर्शाता है.

Advertisement

2. महिलाओं का एक अनदेखा सच सामने लाने वाली डायरी
साल 2009 में सांता बारबरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फीचर (जूरी अवॉर्ड) जीतने वाली A Women in Berlin एक जर्मन फिल्म है और एक पत्रकार की डायरी पर बनी है. फिल्म द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में सोवियत सेना के बर्लिन पर कब्जे की पृष्ठभूमि में एक जर्मन महिला की कहानी को दर्शाती है. यह युद्ध की भयावहता, सामूहिक बलात्कार और महिलाओं के जीवित रहने के लिए किए गए समझौतों को चित्रित करती है.

महिलाओं के चेहरे पर टॉर्च लगाकर उनके साथ बिना उम्र देखे बलात्कार करना हो या बेसमेंट से ऊपर आने पर फिल्म की मुख्य पात्र अनोनिमा और उसकी साथी को वहां मौजूद सभी सैनिकों द्वारा एक वस्तु की तरह देखना, ये दृश्य युद्ध में महिलाओं की उपस्थिति को देखे जाने का नजरिया दिखाते हैं.

Advertisement

अनोनिमा का कई बार बलात्कार किया जाता है, एक सैनिक का उसके ऊपर आकर मुंह में थूकने वाला दृश्य युद्ध से प्रभावित देश की महिलाओं का एक अनदेखा सच हमारे सामने लेकर आता है. फिल्म में ऐसे बहुत से दृश्य हैं जो युद्ध में महिलाओं के खिलाफ घृणित अपराध को हमारे सामने लेकर आते हैं और उनकी अस्मिता लुटते हुए दिखाते हैं.

Advertisement

3. बूटों की छाप का डर दिखाती सिनेमा
जुआनिता विल्सन की निर्देशित साल 2010 में आई फिल्म As If I Am Not There बोस्निया युद्ध में एक शिक्षिका के सामूहिक बलात्कार और बंधक बनाए जाने की कहानी है. बंदूकों के साए में पुरुषों और महिलाओं को एक दूसरे से अलग करने वाला दृश्य दिखाता है कि युद्ध में महिलाएं बस उपभोग की वस्तु मान ली जाती हैं और उसके लिए ही उनका इस्तेमाल होता है. परिवार से बिछड़ने वाला यह दृश्य बेचैन करने वाला है. छोटी बच्ची का बूटों की छाप से डर के सिहर जाना, शिक्षिका के ऊपर तीन लोगों द्वारा सामूहिक बलात्कार के बाद पेशाब करना कुछ ऐसा है जो शायद हमारे इंसान होने पर सवाल उठाता है.

इस फिल्म को देखते हुए युद्धग्रस्त क्षेत्रों की महिलाओं के बारे में विचार आने लगते हैं और मन बेचैन होने लगता है, पर्दे में देखते यह सब इतना बेचैन करने वाला है तो जो झेल रहे हैं उनका क्या! 'उसके भाई का दोस्त' कहती महिलाएं उस दुनिया को कोसती हुई लगती हैं जहां युद्ध के दौरान अपने परिचित भी हैवानियत पर उतर जाते हैं.

कैद में रहते प्रताड़ना के बाद बने एक दूसरे के घावों को देखते उम्मीद भरी कहानी सुनाती शिक्षिका बुरा वक्त निकलने इंतजार करती दिखती है. फिल्म में सैनिकों के जानवर में बदलने की वजह दिखाते हुए उनका बचाव भी किया गया है, इसके लिए यह तर्क दिखाया है कि शिक्षिका का शोषण करने वाला सैन्य अधिकारी दो-तीन साल से अपने परिवार से दूर है. साल 2011 में हुए आइरिश फिल्म एन्ड फेस्टिवल अवॉर्ड में As If I Am Not There ने साल की बेस्ट फिल्म सहित तीन अवॉर्ड जीते थे.

4. मानवीय संवेदनाओं को खत्म कर देता है युद्ध
IMDB के अनुसार 29 पुरस्कार जीतने वाली Eternal Winter साल 2018 में आई एक हंगेरियन फिल्म है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत श्रम शिविरों में भेजी गई हंगेरियन महिलाओं की दिल दहला देने वाली सच्ची कहानी पर आधारित है. फिल्म की मुख्य पात्र इरेन को उसके परिवार से अलग कर सोवियत यूनियन के कठोर श्रम शिविरों में भेज दिया जाता है, घर से जाते वक्त जब वह पलट कर अपने घर की तरफ देखती हैं तो यह दृश्य महिलाओं के साथ युद्ध में होने वाली इस त्रासदी का सटीक उदाहरण है कि युद्ध में महिलाएं को ही सबसे ज्यादा भुगतना पड़ता है.

यह फिल्म युद्ध के बाद की क्रूरता, महिलाओं के शारीरिक और मानसिक शोषण और उनकी अस्मिता को कुचलने वाली परिस्थितियों को दर्शाती है. एक दृश्य में काम से लौटने पर इरेन को ठंड से ठिठुरते हुए दिखाया जाता है, भूख और थकान से जूझते हुए पत्थर तोड़ने के बाद का यह दृश्य युद्ध के दौरान महिलाओं की पीड़ा और उनकी मजबूरी को उजागर करता है.

एक दूसरे कैदी जिसे काम बांटने में लगाया गया है, वह इरेन से हल्का काम देने के लिए कहता है 'What did I get in return, as a man' यह शब्द ठीक वही हैं जो आज युद्धग्रस्त क्षेत्र की महिलाओं से बोले जा रहे हैं.

एक मूक बधिर लड़की के बीमार पड़ जाने पर दूसरी महिला का यह कहना कि 'क्या मैं इसके जूते ले सकती हूं, अगर इसे अब कभी उनकी जरूरत नही पड़ेगी' युद्ध जैसी स्थिति में खुद को जिंदा रखने के लिए एक दूसरे के प्रति मानवीय संवेदनाओं का खत्म होना दिखाता है.

फिल्म यह भी दर्शाती है कि कैसे युद्ध और कैद महिलाओं को न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से भी तोड़ देता है, फिर भी उनकी जीवटता उन्हें जीवित रखती है. सिनेमाटोग्राफी और संगीत का संयोजन दर्शकों को उस दौर की भयावहता में डुबो देता है, जहां हर पल एक नई चुनौती है. पर फिर भी अंत में एक उम्मीद ही है, जो सपने दिखाती है कि सब कुछ ठीक होगा.

5. युद्ध और मोहब्बत
In the Land of Blood and Honey (2011) का निर्देशन एंजेलिना जोली ने किया है. फिल्म की कहानी बोस्नियाई महिला और सर्बियाई सैनिक की है. जो युद्ध से पहले रिलेशनशिप में होते हैं. लेकिन उनकी दोबारा मुलाकात उस समय होती है जब महिला को बंदी बना लिया जाता है. इसी को लेकर पूरी कहानी गढ़ी गई है, जिसमें युद्ध के दौरान महिलाओं पर होने वाले प्रभावों को पेश किया गया है. इसमें दिखाया गया है कि किस तरह युद्ध में बंदी बनाई गई महिलों के साथ रेप होता है और उनके हौसलों को तोड़ने के लिए हर बुरी हरकत की जाती है. एंजेलिना जोली ने 127 मिनट की इस फिल्म युद्ध और महिलाओं से जुड़ी बातों को दिल छू लेने वाले अंदाज में दिखाने की कोशिश की है.

6. जिंदा रहने की जद्दोजहद
क्लासिक इटैलियन फिल्म Two Women (1960) में सोफिया लॉरेन एक विधवा की भूमिका में हैं जो अपनी किशोर बेटी के साथ दूसरे विश्व युद्ध की भयावहता से बचने की कोशिश कर रही है. वे रोम से अपने गृहनगर सिजेरा का रुख करती है. लेकिन रास्ते में सैनिकों द्वारा उन पर हमला किया जाता है और उनका बलात्कार किया जाता है. इसका निर्देशन विटोरियो डी सिका ने किया था. यह फिल्म अल्बर्टो मोराविया के 1957 में इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है. इसमें सोफिया लॉरेन, ज्यां-पॉल बेलमंडो, एलोनोरा ब्राउन और राफ वलोन लीड रोल में हैं. इस कहानी को 1944 के दौर में सेट किया गया है. इस फिल्म के लिए सोफिया लॉरेन को 1961 में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला. 

Featured Video Of The Day
Operation Sindoor में Pakistan के कितने लड़ाकू विमान मार गिराए? IAF Chief ने किया बड़ा खुलासा