300 लोगों ने दिन-रात मिलकर थाईलैंड में बनाया भिंडी बाजार, रणवीर सिंह की धुरंधर का ऐसे बना धांसू सेट

सब कुछ पहले ही खूब सुर्खियां बटोर चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म को पर्दे पर लाने के लिए एक साल से भी ज्यादा का वक्त, मेहनत, जागती हुई रातें लगी हैं. इसके साथ ही पूरी दुनिया में घूम-घूम कर की गई लोकेशन खोज भी मेहनत में ही शामिल है.

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ऐसे तैयार हुआ रणवीर सिंह की धुरंधर का सेट
नई दिल्ली:

रणवीर सिंह की फिल्म धुरंधर का जब से टीजर आया है, तब से ही फैंस फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. फिर चाहे उनका बदला हुआ लुक हो या दमदार कास्टिंग, सब कुछ पहले ही खूब सुर्खियां बटोर चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म को पर्दे पर लाने के लिए एक साल से भी ज्यादा का वक्त, मेहनत, जागती हुई रातें लगी हैं. इसके साथ ही पूरी दुनिया में घूम-घूम कर की गई लोकेशन खोज भी मेहनत में ही शामिल है. हाल ही में फिल्म के प्रोडक्शन डिजाइनर सैनी एस जोहरी ने इस पर खुलकर बात की.

कैसे बने धुरंधर के शानदार सेट

सैनी एस जोहरी ने बताया कि धुरंधर के लिए बड़े बड़े सेट बनाने में उन्हें करीब तीन महीने लगे. मार्च से मई तक डिजाइनिंग चली, जून में पूरी टीम लोकेशन के लिए घूमी और जुलाई में शूटिंग शुरू हुई. उनकी टीम में कुल 12 डिजाइनर थे. जो हर दिन 12 घंटे तक काम करते थे क्योंकि फिल्म काफी बड़ी स्केल पर बन रही थी. उन्होंने कहा, "मेरे करियर में यह उन फिल्मों में से एक है, जिसमें सबसे ज्यादा लोकेशन्स पर शूट हुआ है." उन्होंने आगे बताया कि पाकिस्तानी गलियों को फिर से बनाने के लिए उन्होंने अखबार की कतरनें, पुराने वीडियो और न्यूज़ क्लिपिंग्स का सहारा लिया ताकि पाकिस्तान के एक खास इलाके की ज्योग्राफी को समझा जा सके. इसके बाद थाईलैंड में 6 एकड़ में फैला एक सेट तैयार किया गया और मुंबई के मढ आइलैंड पर भी एक बड़ा सेट लगाया गया.

थाईलैंड को ही क्यों चुना गया?

सैनी ने बताया कि मुंबई में मौजूद स्टार कास्ट के साथ शूटिंग करना संभव नहीं था. उन्हें एक ऐसा प्लॉट चाहिए था जो कम से कम छह एकड़ का हो. क्योंकि, स्टूडियो में वैसा शूट मुमकिन नहीं था. साथ ही शूटिंग भी जुलाई में ही थी. जब मुंबई में जोरदार मानसून होता है. इसलिए वहां सेट लगाना भी मुश्किल था. इस थाईलैंड में शूट करने का ऑप्शन चुना गया. 
सैनी ने बताया कि उन्होंने थाईलैंड में कई दिनों की मेहनत के बाद सेट तैयार किया. इसके लिए 200-300 लोकल लोगों की मदद भी लगी. सैनी ने बताया कि थाईलैंड के लोगों को बिलकुल नहीं पता था कि भिंडी बाजार होता क्या है. इसलिए खुद उन्हें ही एक एक बारीक डिटेल का ध्यान रखना पड़ा. 
 

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