बॉलीवुड में कई ऐसे सितारे हुए, जो कभी अपनी जिंदगी के अर्श पर थे लेकिन उनका आखिरी समय गरीबी में गुजरा. ऐसी ही कहानी एक सुपरस्टार की है, जिनकी गिनती सबसे अमीर अभिनेताओं में होती थी. समुद्र किनारे 25 कमरों का उनका आलीशान बंगला हुआ करता था, लेकिन एक समय ऐसा आया, जब उन्हें मुंबई के जर्जर चॉल में अपना गुजर-बसर करना पड़ा. उनका अंतिम समय दर्द और कठिनाइयों में बीता. आइए जानते हैं बॉलीवुड के उस सुपरस्टार के बारे में...
गरीबी में गुजरा सुपरस्टार का आखिरी वक्त
हम बात कर रहे हैं 1940 और 1950 के दशक के सुपरस्टार भगवान दादा की. उनकी गिनती भारत के सबसे अमीर एक्टर में थी. समुद्र किनारे उनका आलीशान बंगला था. उसमें नौकर-चाकर सब थे लेकिन किस्मत ऐसी पलटी की बंगला-गाड़ी बेचना पड़ा और खस्ताहाल चॉल में अंतिम समय गुजारना पड़ा.
भगवान दादा की स्टाइल का हर कोई दीवाना
एक्टर और डायरेक्टर भगवान दादा मुंबई के एक मिल में मजदूरी किया करते थे लेकिन उनका सपना एक्टर बनने का था. किसी तरह उन्होंने फिल्म मेकिंग सीखी और लो बजट फिल्में बनाने लगे. भगवान दादा फिल्म की कास्ट के खाने और कॉस्ट्यूम का इंतजाम खुद करते थे. उनका अनोखा डांस स्टाइल हर किसी को पसंद आता था. रेसलिंग में उन्हें भगवान दादा कहकर बुलाया जाता था.
भगवान दादा की फिल्में
1938 में 'बहादुर किसान' नाम की फिल्म भगवान दादा की सह-निर्देशित थी. राज कपूर की सलाह पर वे फिल्म प्रोडक्शन में आए और एक्शन फिल्में बनाने लगे. 1951 में उन्होंने एक सोशल फिल्म 'अलबेला' बनाई, जो जबरदस्त हिट रही. इसके बाद उनकी 'झमेला' और 'भागम भाग' जैसी फिल्में दर्शकों को खूब पसंद आई.
भगवान दादा की किस्मत कैसे पलटी
जब भगवान दादा सफलता की ऊंचाई पर थे, तब जुहू बीच पर 25 कमरों के बंगले में रहते थे. उनके पास 7 लग्जरी कारें थी, जिनका इस्तेमाल वे हर दिन के हिसाब से करते थे. दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर के बाद सबसे ज्यादा फीस भगवान दादा ही चार्ज करते थे. बताया जाता है कि भगवान दादा को जुए और शराब की लत थी. जिसमें उनकी जिंदगी डूबती गई. एक समय ऐसा आया जब वे कर्ज में डूबते चले गए और उनके पास काम की कमी होने लगी. हालात ये हो गए कि उन्हें बंगला, गाड़ी सब बेचना पड़ा और आखिरी समय में मुंबई के दादर की एक चॉल में रहना पड़ा. 2002 में 89 साल की उम्र में हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया.