"हम चारा, रेत पीसकर खिलाने को मजबूर": गाजा में जिंदगी की जंग लड़ते 2 भूखे नवजात बच्चों का दर्द

Gaza Ground Reality: गाजा उजड़ रहा है, मौत की पहली कतार में ये दुधमुंहे बच्चे हैं जिनकी जुबान को दूध लगे हफ्ते गुजरते चले जा रहे हैं. मौत हर घर पर दस्तक दे रही है, हर दूसरा घर अपने बच्चों को अपने हाथ से दफना रहा है.

"हम चारा, रेत पीसकर खिलाने को मजबूर": गाजा में जिंदगी की जंग लड़ते 2 भूखे नवजात बच्चों का दर्द
Gaza Ground Reality: गाजा उजड़ रहा है, मौत की पहली कतार में दुधमुंहे बच्चे हैं

“अगर यह नवजात बच्ची बोल पाती तो मुझपर चीखती”…

यह कहानी है गाजा के हरेक घर की. यह दर्द है उन माओं का जिनके स्तन में दूध नहीं आ रहा, क्योंकि उन्हें खुद कुछ खाने को नहीं मिल रहा. यह टीस है उन दादियों की जो मरी हुई माओं के नवजात बच्चों को मजबूरन काबुली चना पीसकर खिलाने की कोशिश कर रही हैं. वो पिता जिसके आंखों के सामने बच्चों को जानवरों का चारा खिलाया जा रहा, आटे में रेत पीसकर रोटी बनाई जा रही. 6 माह से छोटे इन बच्चों की आंतें दूध मांगती हैं, चने और चारा नहीं.

गाजा उजड़ रहा है, मौत की पहली कतार में ये दुधमुंहे बच्चे हैं जिनकी जुबान को दूध लगे हफ्ते गुजरते चले जा रहे हैं. मौत हर घर पर दस्तक दे रही है, हर दूसरा घर अपने बच्चों को अपने हाथ से दफना रहा है. चलिए, न बोल सकने वाले इन नवजात बच्चों की भूखे मरने की कड़वी सच्चाई से आपको वाकिफ कराते हैं.

मां के स्तन में दूध नहीं, बाजार में बेबी फॉर्मूला नहीं

गाजा के एक अस्थायी तंबू में, तीन महीने की मुंताहा अपनी दादी की गोद में लेटी हुई है. दादी उसे खिलाने के लिए काबूली चने को पीसकर उसका पेस्ट बना रही है, यह जानते हुए कि यह पेस्ट मासूम बच्ची के मुंह में डालते ही वह दर्द से रोने लगेगी. लेकिन बच्चे को भूख से मरने से बचाने की कोशिश में दादी बेबस है.

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उस बच्ची की चाची अबीर हमौदा ने कहा, "अगर यह बच्ची बोल पाती, तो वह हम पर चिल्लाती और पूछती कि हम उसके पेट में क्या डाल रहे हैं." जब उसकी दादी ने उसे सिरिंज से पेस्ट खिलाया तो गंदे से मुंह बना लिया.

मुंताहा का परिवार गाजा में उन कई लोगों में से एक है, जो बच्चों को खिलाने के लिए दिल पर पत्थर रखकर वो विकल्प चुन रहे हैं जो वो किसी और स्थिति में नहीं करते, खासकर छह महीने से कम उम्र के बच्चे के लिए जो ठोस भोजन नहीं पचा सकते.

31 साल की फिलिस्तीनी मां अपने बीमार 18 महीने के कुपोषित बेटे के साथ (AFP)

31 साल की फिलिस्तीनी मां अपने बीमार 18 महीने के कुपोषित बेटे के साथ (AFP)

गाजा में इजरायल ने मोर्चाबंदी कर रखी है, वहां मानवीय सहायता बहुत सीमित मात्रा में पहुंच रही है. वहां बाजार तो बचे ही नहीं हैं, और जो थोड़ा बहुत बचा भी है वहां बेबी फार्मूला दुर्लभ (मिल्क पाउडर) दुर्लभ है. कई महिलाएं कुपोषण के कारण स्तनपान नहीं करा पाती हैं. जबकि कई अन्य बच्चे विस्थापन, घायल होने या मां के ही मरने के कारण अपनी मां से अलग हो गए हैं. मुंताहा की भी मां अब इस दुनिया में नहीं है.

मुंताहा के परिवार का कहना है कि जब उसकी मां गर्भवती थी तभी उसे गोली लग गई थी. बेहोशी की हालत में मां ने समय (डिलिवरी डेट) से पहले ही बच्ची को जन्म दिया और कुछ सप्ताह बाद उसकी मृत्यु हो गई. मुंताहा के जन्म के चार दिन बाद 27 अप्रैल को शिफा हॉस्पिटल के डायरेक्टर ने एक फेसबुक पोस्ट में ऐसे मामले का वर्णन किया.

मुंताहा की दादी नेमा हमौदा ने कहा, "मैं बच्ची के भाग्य को लेकर भयभीत हूं… हमने उसका नाम उसकी मां के नाम पर रखा...उम्मीद है कि वह जीवित रहेगी और लंबे समय तक जीवित रहेगी, लेकिन हम इतने डरे हुए हैं, हम हर दिन बच्चों और वयस्कों को भूख से मरते हुए सुनते हैं."

मुंताहा का वजन अभी केवल 3.5 किलोग्राम है. उसके परिवार ने कहा, उसकी उम्र के एक बच्चे का वजन आमतौर पर इसका दोगुना होता है. दूध है नहीं, चना खिलाने के बाद उसे उल्टी और दस्त जैसी पेट संबंधी समस्याएं हो जाती हैं.

स्वास्थ्य अधिकारियों, सहायता कर्मियों और गाजा के परिवारों ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि कई परिवार शिशुओं को जड़ी-बूटियां और पानी में उबाली हुई चाय, या रोटी या तिल पीसकर खिला रहे हैं. मानवीय एजेंसियों का कहना है कि गाजा में माता-पिता पत्तियों को पानी में उबालकर खिला रहे हैं, यहां तक की जानवरों का चारा खिला रहे हैं, रेत को आटे में पीसने के खिलाने के मामले भी दर्ज किए गए हैं.

बच्चों के डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों को बहुत कम उम्र में ठोस पदार्थ खिलाने से उनका पोषण बाधित हो सकता है, पेट की समस्याएं हो सकती हैं और दम घुटने का खतरा हो सकता है.

यूनिसेफ के प्रवक्ता सलीम ओवेस ने कहा, "भोजन की कमी की भरपाई के लिए यह हताशा में उठाया गया कदम है… जब माताएं स्तनपान नहीं करा पाती हैं या उचित बेबी फार्मूला उपलब्ध नहीं करा पाती हैं तो वे अपने बच्चों को खिलाने के लिए चने, रोटी, चावल, जो कुछ भी उनके हाथ में आ जाए, पीसने का सहारा लेती हैं... यह उनके स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है क्योंकि ये चीजें शिशुओं को खिलाने के लिए नहीं बनाई गई हैं."

30 वर्षीय फिलिस्तीनी मां अपने कुपोषित 2 वर्षीय बेटे को गोद में लिए हुए (AFP)

30 वर्षीय फिलिस्तीनी मां अपने कुपोषित 2 वर्षीय बेटे को गोद में लिए हुए (AFP)

दूध के बोतल तो हैं लेकिन दूध नहीं

मानवीय एजेंसियों का कहना है कि गाजा में लगभग कोई बेबी फार्मूला नहीं बचा है. बाजार में जो इसके कैन मौजूद भी हैं उनके अकेले की कीमत 100 डॉलर (8735 रुपए) से अधिक है. मुंताहा जैसे परिवारों के लिए इसे खरीद पाना असंभव है. उसके पिता ने युद्ध के बाद से अपना फलाफेल बेचने का बिजनेस बंद कर दिया है और परिवार के अपने घर से विस्थापित होने के बाद से बेरोजगार हैं.

मध्य गाजा शहर दीर अल-बलाह में मौजूद अल-अक्सा शहीद हॉस्पिटल तक में बेबी फार्मूला की आपूर्ति ज्यादातर समाप्त हो गई है. एक मां ने दिखाया कि कैसे उसने ताहिनी तिल का गाढ़ा पेस्ट एक बोतल में डाला और उसे पानी में मिला दिया. वो इसे बच्चे को दूध बताकर पिला रही है. चार महीने की जौरी की 31 साल की मां, अज़हर इमाद ने कहा, "मैं दूध की जगह इसका इस्तेमाल कर रही हूं, ताकि उसके दूध की भरपाई हो सके, लेकिन वह इसे नहीं पिएगी."

डॉक्टर खलील दकरान ने कहा, "अब बच्चों को या तो पानी या पिसी हुई कठोर फलियां खिलाई जा रही हैं. यह गाजा में बच्चों के लिए हानिकारक है. अगर तीन या चार दिनों के भीतर बच्चे को तुरंत दूध नहीं मिलता है, तो वे मर जाएंगे."

जंग का खेल-खेलते लोगों के लिए मौत एक आंकड़ा भर है

गाजा के बढ़ते मानवीय संकट की वजह से मंगलवार को दुनिया में भूखमरी और अकाल की निगरानी करने वाले निकाय को यह कहना पड़ा गाजा में अकाल की सबसे खराब स्थिति सामने आ रही है. व्यापक मौत से बचने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है. कमजोर और कंकाल जैसे बन चुकें फिलिस्तीनी बच्चों की तस्वीरों ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है.

गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार भूख की वजह से मरते लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अब तक ऐसी कुल संख्या 154 है, इनमें से 89 बच्चे हैं, जिनमें से अधिकांश की मृत्यु पिछले कुछ हफ्तों में हुई है.

गाजा की दुर्दशा पर अंतर्राष्ट्रीय आक्रोश बढ़ रहा है. इजरायल ने गाजा में मानवीय सहायता की पहुंच को आसान बनाने के लिए बीते वीकेंड में कदमों की घोषणा की थी लेकिन संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम ने मंगलवार को कहा कि उसे अभी भी पर्याप्त सहायता देने के लिए आवश्यक अनुमति नहीं मिल रही है.

इजरायल और अमेरिका ने उग्रवादी समूह हमास पर मानवीय सहायता को चुराने का आरोप लगाया है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि उसने हमास द्वारा अधिक मानवीय सहायता छीन लेने के सबूत नहीं देखे हैं. हमास ने इजरायल पर भुखमरी पैदा करने और सहायता को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है, जिससे इजरायल सरकार इनकार करती है.

(इनपुट- रॉयटर्स)

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