अभी तक सिर्फ साउथ की फिल्में ही बॉलीवुड को बॉक्स ऑफिस पर चुनौती देती नजर आ रही थीं. लेकिन अब ओटीटी जगत में भी बॉलीवुड कंटेंट को टक्कर देने के लिए साउथ की वेब सीरीज आ गई हैं. इसमें एक नाम 'सुडल-द वोर्टेक्स' का लिया जा सकता है. इस वेब सीरीज को लगभग 16 भाषाओं में डब किया गया है और इसकी कहानी, एक्टिंग और डायरेक्शन ने समां ही बांध दिया. इंटेंस क्राइम ड्रामा में इमोशन के साथ ही कहानी को गहराई तक पकड़ा गया है. इस वेब सीरीज में ऐश्वर्या राजेश, कतिर, श्रिया रेड्डी और राधाकृष्णन पार्थिबन है. आठ एपिसोड वाली वेब सीरीज 'सुडल-द वोर्टेक्स' की कहानी तमिलनाडु के एक छोटे से कस्बे की एक लड़की के लापता होने के साथ शुरू होती है. यह इंवेस्टिगेटिव ड्रामा एक गुमशुदा की तलाश के साथ शुरू होता है और जल्द ही दिल को छू लेने वाले एक थ्रिलर में तब्दील हो जाता है. आइए जानते हैं वो पांच बातें जो इस वेब सीरीज को बनाती हैं खास...
1. दमदार कहानी
विक्रम वेधा जैसी शानदार फिल्म देने वाली पुष्कर-गायत्री की जोड़ी ने इसकी कहानी लिखी है. वे इस वेब सीरीज के क्रिएटर भी हैं. इस तरह कहानी में गहराई है, समाज की कड़वी सच्चाई है और हर वह चीज है जो इसे सार्थक वेब सीरीज बनाती हैं.
2. शानदार एक्टिंग
एक्टिंग के मामले में 'सुडल-द वोर्टेक्स' का भी कोई तोड़ नहीं. श्रिया रेड्डी, कतिर, ऐश्वर्या राजेश और राधाकृष्णन पार्थिबन ने किरदारों को क्लासिक अंदाज में परदे पर जिया है. श्रिया रेड्डी का इंस्पेक्टर रजिना का किरदार और कतिर का सक्कारई का कैरेक्टर लंबे समय तक जेहन में ताजा रहेंगे.
3. परफेक्ट मर्डर मिस्ट्री
गायत्री और पुष्कर को इंटेंस फिल्मों के लिए पहचाना जाता है. फिर किसी वेब सीरीज की जान उसका सस्पेंस होता है, और यह रहस्य पूरी सीरीज में बना रहता है. जिस तरह का माहौल सीरीज में दिखाया गया है, वह भी किसी सस्पेंस थ्रिलर में सोने पर सुहागा का ही काम करता है.
4. छोटे शहर का बड़ा राज
'सुडल-द वोर्टेक्स' कहानी तमिलनाडू के नीलगिरी जिले के समबलूर शहर की है. जहां 10 दिन का मयम कोल्लई उत्सव मनाया जाता है. इस कहानी को इन्हीं दस दिनों के अंदर रचा गया है. इस उत्सव और मर्डर मिस्ट्री को जिस तरह कोरिलेट किया गया है, वह दिखाता है कि कहानी पर की मेहनत की गई है. यही बात इसे परफेक्ट मर्डर मिस्ट्री भी बनाती है.
5. सयाना डायरेक्शन
'सुडल-द वोर्टेक्स' के पहले चार एपिसोड का निर्देशन ब्रम्मा ने किया जबकि पांच से आठ का निर्देशन अनुचरन. एम ने किया है. इस तरह उन्होंने डायरेक्शन को कसावट भरा रखा है और हर सवाल का अंत में बखूबी जवाब भी दिया है.
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