Black Warrant Review: देश में फांसियों की कहानी कहती जहान कपूर की वेब सीरीज

नेटफ्लिक्स पर लांच हो चुकी है वेब सीरीज ब्लैक वारंट जो की पत्रकार सुनेत्रा चौधरी और तिहाड़ जेल के पूर्व सुप्रीडेंटेंट सुनील गुप्ता की किताब ब्लैक वारंट: कन्फ़ेशंस ऑफ़ तिहाड़ जेलर पर आधारित है

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वेब सीरीज ब्लैक वारंट का रिव्यू
नई दिल्ली:

नेटफ्लिक्स पर लांच हो चुकी है वेब सीरीज ब्लैक वारंट जो की पत्रकार सुनेत्रा चौधरी और तिहाड़ जेल के पूर्व सुप्रीडेंटेंट सुनील गुप्ता की किताब ब्लैक वारंट: कन्फ़ेशंस ऑफ़ तिहाड़ जेलर पर आधारित है, ख़ास बात ये है की 2019 में लांच हुई ये किताब एक नॉन फिक्शन श्रेणी में आती है पर वेब सीरीज ब्लैक वारंट फिर भी आपको कहीं नीरस नहीं लगेगी और ना ही ड्रामा की कमी महसूस होगी . इस सीरीज में जेलर सुनील गुप्ता का किरदार निभा रहे हैं अभिनेता शशि कपूर के पोते ज़हान कपूर और इसमें इनके साथ बाक़ी अभिनेताओं में राहुल भट्ट, राजेंद्र गुप्ता, सिद्धांत गुप्ता, परमवीर सिंह चीमा और अनुराग ठाकुर भी हैं . इसके क्रिएटर्स हैं विक्रमादित्य मोटवाने और सत्यांशु सिंह जिन्होंने इस सीरीज में निर्देशन भी किया है .

ब्लैक वारंट मतलब फांसी की सज़ा और इस सीरीज में ऐसे कई मामलों को दर्शाया गया है जहां कैदियों को फांसी की सजा हुई जिनमें 1982 की रंगा बिल्ला की फांसी, 1984 की मक़बूल भट्ट के फांसी समेत कई मामलों को एक जेलर के नजरिये से दर्शाया गया है, इसके अलावा ये सीरीज जेल में भ्रष्टाचार, वहां के हालात और कैदियों की मानसिकता के साथ ये भी दिखाती है कि कैसे ग़रीबी और सही कानूनी मदद ना मिलने के कारण कितने ही क़ैदी बिना किसी जुर्म के जेल में ज़िंदगी काट रहे हैं. 

इस सीरीज की ख़ास बात ये है की शायद ही इतने विस्तार से किसी सीरीज या फ़िल्म में जेल की ज़िंदगी दिखायी गई हो और वो भी उस तरह की एक बार अगर ये सीरीज शुरू कर दी तो सातों एपिसोड देखे बिना आप नहीं उठेंगे . यूं तो बहुत से पहलू इस सीरीज के आपको पसंद आयेंगे पर लेखक निर्देशक ने जेल से जुड़े हर पहलू का ध्यान रखा है , मिसाल के तौर पर, कहा जाता है कि अगर आपका किसी से मिलने या किसी काम से जेल जाना हो तो वहाँ का खाना ज़रूर खा के आयें और मेरी हंसी छूट गई जब एक किरदार को मैंने जेलर से जेल का खाना मंगवाने का सीन देखा. अमीरी ग़रीबी का असर जेल में भी है , गुंडागर्दी, मार पीट, ड्रग्स, और काला बाज़ारी सभी पहलुओं को इस सीरीज में दिखाया गया है और वो भी बड़ी सहजता और इत्मीनान से , ना फ़ास्ट कट्स का दबाव, ना कहानी कहने और सीन दर्शाने में जल्दीबाज़ी, ड्रामा है पर सहज और ये विक्रमादित्य मोटवाने और सत्यांशु सिंह के निर्देशन और लिखाई की तारीफ़ है कि ये सीरीज आपको अंत तक पकड़ कर रखती है . विक्रमादित्य ने इस से पहले फ़िल्म जगत पर जुबली नाम की सीरीज बनायी थी और वो भी बहुत ही कमाल थी . ब्लैक वारंट सीरीज की सिनेमेटोग्राफी हो, बैकग्राउंड स्कोर हो, अभिनेताओं का अभिनय या फिर विक्रमादित्य मोटवाने और सत्यांशु का निर्देशन, सभी सराहनीय हैं . 
 

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