विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, ट्रांसजेंडर लोगों में प्रजनन आयु के अन्य वयस्कों की तुलना में एचआईवी पॉजिटिव होने की संभावना लगभग 13 गुना अधिक है, कानूनी बाधाएं, भेदभाव और हिंसा सहित कई अन्य मुद्दों के कारण वह स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच नहीं पाते. इसके अलावा, ट्रांसजेंडर को पारिवारिक अस्वीकृति और शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा के अपने अधिकारों के छिनने का अनुभव हो सकता है. इस विश्व एड्स दिवस पर (World AIDS Day), हमने श्रीगौरी सावंत, ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट और ट्रस्टी, साईं सावली फाउंडेशन ट्रस्ट के साथ बात की और जाना कि असमानताओं और एड्स को समाप्त करने के लिए समावेश और विविधता क्यों जरूरी है.