सेल्फ़ी विद सैपलिंग के इस दौर में दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों से भी ज़रा बाहर निकल कर देखिए. कैमरे की नज़र अपने ऊपर करने के बजाय ज़रा उन जंगलों में घुमाइए जो हमारी आपकी नज़रों से दूर रहते हैं. तब आपको पता चलेगा कि धरती के इन धड़कते फेफड़ों की हवा किस कदर निकाली जा रही है. उत्तरप्रदेश में भारत-नेपाल बॉर्डर पर सुहेलदेव वन्य जीव अभयारण्य ऐसा ही एक जंगल है जहां वन विभाग की नाक के नीचे खुलेआम हज़ारों पेड़ कुल्हाड़ियों का शिकार हो रहे हैं. नेपाल के लकड़ी तस्कर सागौन, साखू और शीशम के बेशक़ीमती पेड़ों को काटते हैं और सरहद पार ले जाते हैं. नेपाल के तस्कर कैसे जंगल के ख़ुफ़िया रास्तों से इस अभयारण्य में घुसते हैं और यहां के पेड़ों को नेपाल की आरा मशीनों तक पहुंचाते हैं इसका ख़ुलासा कर रहे हैं हमारे सहयोगी रवीश रंजन शुक्ला. ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट यूं ही नहीं बनी. अक्सर जान पर बन आती है ऐसी रिपोर्ट तैयार करने में.