बिहार में ऐसा कुछ हुआ है क्या कि 5 दिन के भीतर प्रधानमंत्री मोदी की सभा के अंत में लगने वाले नारे से वंदे मातरम का नारा ही ग़ायब हो गया. क्या ऐसा नीतीश कुमार की असहजता को देखकर किया गया, अगर नहीं तो इसका प्रमाण 4 मई को बगहा की रैली में मिल जाएगा जब प्रधानमंत्री और नीतीश कुमार दोनों साझा रैली करेंगे. हमने सोमवार के प्राइम टाइम में दिखाया था कि 25 अप्रैल को दरभंगा में प्रधानमंत्री ने भारत माता की जय और वंदे मातरम के ज़ोरदार नारे लगाए लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नारा नहीं लगाया और हाथ भी नहीं उठाया. जबकि मंच पर मौजूद सारे नेता यहां तक कि रामविलास पासवान तक हाथ उठाकर वंदे मातरम के नारे लगा रहे थे. उसके 5 दिन बाद यानी 30 अप्रैल को मुज़फ्फरपुर में एनडीए की रैली होती है. उस रैली में प्रधानमंत्री ने अंत में भारत माता की जय के नारे लगाए तो लगाए मगर वंदे मातरम का नारा छोड़ दिया. भारत माता की जय के नारे के तेवर में भी अंतर था. मंच पर लोग हाथ नहीं उठा रहे थे और वहां मौजूद नीतीश कुमार चुपचाप बैठे थे. जैसे वो इन नारों से अपनी राजनीतिक दूरी बनाए रखना चाहते हों.