क्या उत्तर प्रदेश में पुलिस राज कायम हो गया है? क्या राज्य में सड़कों पर अब लोगों को पुलिस से डर लगने लगा है? राज्य सरकार ने पुलिसवालों को ऑपरेशन क्लीन के नाम पर जो हथियार थमाए हैं क्या उनके निशाने पर अब निर्दोष नागरिक आ गए हैं? ये सारे सवाल लखनऊ में विवेक तिवारी की दो पुलिसवालों के हाथों हत्या के बाद उठ खड़े हुए हैं. सवाल यह भी है कि क्या योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुंडो-बदमाशों और आतंकवादियों को मार गिराने के लिए पुलिस वालों को जो शूट टू किल का अधिकार दे दिया है वो अब निर्दोष आम नागरिकों पर भारी पड़ रहा है. क्या गेहूं के साथ घुन भी पिस रहा है? ये सवाल कोई पहली बार नहीं उठे हैं.