अगर आपको याद हो तो कुछ महीने पहले एक वीडियो सामने आया था. जिसमें एक इंफ्लुएंसर ने बेंगलुरु में जोमैटो से खाना मंगवाया. उसके बाद उन्होंने एक वीडियो पोस्ट करके कहा था कि डिलीवरी ब्वॉय ने उनके साथ बदतमीजी की थी. उनको नोच लिया. वीडियो में उन्होंने अपने नाक पर चोट दिखाए थे. वीडियो में उन्होंने मांग की थी की डिलीवरी ब्वॉय के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. डिलीवरी ब्वॉय पर कार्रवाई भी हुई थी, क्योंकि वो सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर थीं. जब उन्होंने सोशल मीडिया पर ये बात कही तो मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की गई. लेकिन NDTV से बात करते हुए बाद में डिलीवरी ब्वॉय ने टीवी पर रो दिया. उसने कहा कि आपको पूरी कहानी नहीं मालूम. वो दरअसल खाना का पैसा नहीं देना चाहती थीं. वो खाना बिना पैसे के लेना चाहती थीं. जब मैंने खाना वापिस लेने की कोशिश की तो उसमें छीना-झपटी हुई, जिसमें इनके ही हाथ की अंगूठी से इन्हें चोट लग गई. उन्हें मैंने नहीं मारा है. उसको उन्होंने ये स्पीन दे दिया है. इसके बाद ये पूरा मामला दोनों तरफ से अदालतों में चला, उसके बाद तब ये बात सामने आई कि कभी भी एक तरफ की कहानी सुनकर लोगों को जज नहीं करना चाहिए. ऐसा ही एक प्रकरण लखनऊ का है, जिसका वीडियो कुछ दिन पहले वायरल हुआ था. मामला लखनऊ का है, जिसमें एक लड़की कैब ड्राइवर के साथ मारपीट करती हुई दिख रही है. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. लोग इसमें या तो लड़की का पक्ष ले रहे हैं या कैब ड्राइवर का, जबकि ये सबसे बड़ी भूल है. क्योंकि पूरा प्रकरण ना आपको मालूम है ना हमें. ना आप थे वहां पर ना हम, तो फिर हम जज कैसे बन सकते हैं?