पाकिस्तान का नाम जब भारत की राजनीति में आ जाए तो तय करना मुश्किल हो जाता है कि यह फुलटॉस है या बाउंसर. बिहार का चुनाव हो तब पाकिस्तान, राफेल डील तब पाकिस्तान...पाकिस्तान. पाकिस्तान वाले भी इतना पाकिस्तान...पाकिस्तान नहीं करते होंगे, जितना भाजपा प्रवक्ता पाकिस्तान-पाकिस्तान करते हैं. पेट्रोल 90 रुपये लीटर है इसके लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार नहीं है, लेकिन पाकिस्तान कब किस चीज़ के लिए ज़िम्मेदार हो जाए, पता नहीं होता. इन दिनों फिर से पाकिस्तान का ज़िक्र ज़ोर शोर से हो रहा है. अजीब बात यह है कि हम पाकिस्तान से बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान के बारे में दिन रात बात किए जा रहे हैं. कुछ आशिक बड़े ज़िद्दी होते हैं. नहीं निभा तो क्या हुआ मगर नाम दिन रात लेते हैं. सोमवार को संबित पात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस में इतनी बार पाकिस्तान का ज़िक्र किया कि लगा कि विवाद अंबानी की कंपनी को लेकर नहीं, पाकिस्तान को लेकर है.