मुजफ्फरनगर दंगों की खबर अब भले ही पुरानी हो गई हो, लेकिन पीड़ितों का दर्द अब भी हरा ही है। दंगों के तीन महीने बाद भी पीड़ित लोग दो वक्त की रोटी और रहने का कोई ठिकाना न होने से खासे परेशान हैं।
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