एक आईएएस अधिकारी का तमिलनाडु से उत्तर प्रदेश ट्रांसफ़र होना था। कार्मिक मंत्रालय ने तीन तीन बार इसके लिए मना कर दिया कि यह नियमानुकूल नहीं है। लेकिन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी से इसे हरी झंडी मिल गई है। हरी झंडी कैसे मिली, किसकी चिट्ठी पर मिली, लेकिन होता है। इस चिट्ठी के बाद भी कार्मिक मंत्रालय मानने को तैयार नहीं था लेकिन मामला एक दामाद का था, एक कद्दावर नेता का था... सो प्रधानमंत्री भी मान गए...