देश के युवा तेजी से सिंथेटिक ड्रग्स के मकड़जाल में फंसते जा रहे हैं. नशा करने से पहले शख्स खुद बर्बाद होता है, फिर परिवार , समाज और अंत में देश. बड़े पैमाने पर कार्रवाई और धरपकड़ भी शुरू हुई है, लेकिन इसके बावजूद ना तो ड्रग्स की डिमांड कम हो रही है और ना ही सप्लाई. ड्रग्स का बदलता ट्रेंड तो और भी खतरनाक है, जो अमीर-गरीब, छोटे-बड़े सभी को अपने आगोश में ले रहा है.