सरकार भले ही टीबी मुक्त भारत की बात कह कर वाहवाही जीत रही हो कि साल 2025 तक देश पूरे तरीके से इस बीमारी कि गिरफ्त से बाहर हो जाएगा. इतना ही नहीं सरकार इस पर करोड़ों रुपये सालाना खर्च करने का दावा भी करती आई है, लेकिन इन दावों के बीच अब भी राजधानी दिल्ली में ऐसे कई परिवार हैं जिन्हें इस बीमारी के इलाज़ के लिए दर-दर ठोकरें खानी पड़ रही हैं.