रवि दहिया ने कहा कि रेसलिंग ऐसा गेम है जिसमें थोड़ी-बहुत चोटें लगती रहती हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत गांव में की, मिट्टी में से की. उसके बाद हम दिल्ली आ गए स्टेडियम में. यहां पर बड़े-बड़े चैम्पियनों को देखा. 2008 में जब मैं आया था तो सुशील कुमार का मेडल आया था. मैं देखता था कि कितना सम्मान मिलता है, तो बहुत खुशी होती थी देखकर, कि मुझे भी ऐसा करना है. यह देखकर मैं आगे बढ़ा.