शुक्रवार के टाइम्स आफ इंडिया में एक खबर देखकर सन्न रह गया कि तमिलनाडू के मेडिकल कॉलेजों में कैपिटेशन फी के लिए 85 लाख और फीस के लिए एक करोड़ रुपये लिये जा रहे हैं. जबकि ये वो बच्चे हैं जो सीबीएसई द्वारा आयोजित नीट की परीक्षा में सफल हुए हैं. क्या वाकई हमें दो करोड़ रुपये फीस देने में कोई फर्क नहीं पड़ता. फिर पढ़ाई का मतलब ही क्या रह गया.