जिनके प्रशिक्षण के हुनर से प्रदेश और देश में मेडल के सपने सरकार और खिलाड़ी देखते हैं. वही हाथ आज उत्तर प्रदेश में समोसे बना रहे हैं, पकौड़े बेच रहे हैं और मजदूरी कर अपना पेट पाल रहे हैं. संविदा पर कोचिंग देने वाले करीब 450 प्रशिक्षकों को लॉकडाउन के बाद से यानि तकरीबन 8 महीनों से ना तो तनख्वाह दी गई है और ना की उनके कॉन्ट्रैक्ट को बढ़ाया गया है. ऐसे में जहां इन प्रशिक्षकों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है वहीं खिलाड़ी भी प्रशिक्षण से वंचित हो रहे हैं. इस मामले में ये लोग लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं. लेकिन सुनता कौन है?