इतिहासकार का काम आसान नहीं होता है. उसे उन गलियों में दाखिल होना पड़ता है जो वर्षों नहीं सदियों पहले बंद हो चुकी होती है. उन्हें उन कहानियों के बीच सच और झूठ को पकड़ना होता है. जिन पर समय बहुत सारी परतें चढ़ा चुका होता है. इस लिहाज से डीएन झा ने अपने लिए जो गली चुनी थी वो कई मुश्किलों और संकटों से भरी थीं. जिस समय बाबरी मस्जिद को शोर पूरे देश पर छाया हुआ था. उस समय उन्होंने बकायदा रिसर्च कर के लिखा बाबरी मस्जिद के नीचे किसी हिंदू मंदिर के प्रमाण नहीं मिले. 1991 में आरएस शर्मा, एम अतहर अली, सूरज भान ने एक रिपोर्ट तैयार की.