भारत एक कृषि प्रधान देश नहीं है. भारत एक ईवेंट प्रधान देश भी है. जल्दी ही वो दिन आने वाला है जब इस बात की भी वर्षगांठ मनाई जाएगी, कि किस दिन और कहां से गुजरते हुए फलां योजना का आइडिया दिमाग में आया था. उस जगह पर भी पत्थर लगा दिया जाएगा और कार्यक्रम होगा. जिस तरह से किसी ईवेंट पर सरकार की तरफ से ट्वीट किया जाता है, उससे लगता है कि गर्वमेंट की जगह इसका नाम ट्विटरमेंट रख देना चाहिए. कोई भी सरकार अपना प्रचार करेगी लेकिन सवाल है दर्जनों और सैंकड़ों की संख्या में किए जा रहे इन ट्वीट में किस तरह के तथ्य जा रहे हैं? ये तथ्य सही हैं या गलत है इसकी जांच होती है? 13 जनवरी को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की पांचवी वर्षगांठ मनाई गई. अब आप कृषि मंत्री के दो ट्वीट को देखिए. एक ट्वीट में लिखा गया है, “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के 5 वर्ष पूरे होने पर आप सभी को बहुत बहुत बधाई एंव शुभकामनाएं.” बता दें कि यह पिंग ट्वीट है. यानी यह ट्वीट कृषि मंत्री के ट्वीटर हैंडल पर सबसे ऊपर दिखेगा. वहीं प्रधानमंत्री ने भी 13 जनवरी के दिन एक ट्वीट किया था. यह बताते हुए कि यह योजना आज के दिन लॉन्च हुई थी. अब इस ट्वीट को देखिए जो गृह मंत्री ने किया है. इसमें एक पोस्टर है, जिसमें लिखा है, “किसानों के लिए फसल बीमा कार्यक्रम के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 18 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री फल बीमा योजना शुरू की गई थी.” अब सवाल यहां यह उठता है कि किसान आंदोलन के दवाब में यहां योजनाओं की जंयती मनाया जा रहा है? ताकि सरकार किसानों की हितैषी दिखे. भला एक योजना के लॉन्च की दो-दो तारीख तो हो नहीं सकती? 13 जनवरी और 18 फरवरी ने हमारा काम बढ़ा दिया.