आर्थिक मंदी की दस्तक अब वहां भी पहुंच रही है जिन्हें हम कारोबार के इलाक़ों में नहीं गिनते. इस साल रामलीलाओं को अपना बजट घटाना पड़ा है क्योंकि इनका चंदा घट गया है. ये छोटी मोटी रामलीलाओं की कहानी नहीं है. ये उन बेहद भव्य रामलीलाओं का हाल है जहां प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति मेहमान होते हैं. कलाकारों को इस बार पुरानी पोशाकों से काम चलाना पड़ रहा है. वहीं इस बार सदस्यों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है.