बालमुकुंद की कोशिश सिस्टम की खामियां दुरुस्त कराने की थी ताकि रेलवे के पैसे के बेहतर इस्तेमाल से लाखों रुपये की बचत हो सके, लेकिन ये पूरी कवायद तब उल्टी पड़ गई जब पहले बिना कारण बताए उन्हें 15 दिनों के लिए सस्पेंड किया गया और चार्जशीट में कई झूठे आरोप उनके सिर मढ़ दिए गए।