अगर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को सरकारी जांच एजेंसियों के कामकाज की रिपोर्ट मान ली जाए तो भारतीय जांच व्यवस्था की जर्जर हालत नजर आती है. सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी और पुलिस चीफ जस्टिस की इन टिप्पणीयों से पहले से आप जानते हैं कि पुलिस और ये जांच एजेंसियां किसी बेकसूर को फंसाने और फंसे हुए कसूरवार को बचाने के खेल में कितनी आगे हैं. इन सब के पीछे राजनीतिक प्रभाव के अलावा करोड़ों रुपये के कारोबार का भी प्रभाव है.