हम वो लोग हैं जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं. वहीं सुदर्शन चक्रधारी को भी अपना आदर्श मानते हैं. यह पीएम मोदी का बयान है. चुनावी से लगने वाले अति महत्वपूर्ण सामरिक भाषण का पाठ करने वाले भी मुस्कुरा रहे होंगे. उसी कृष्ण की तरह जो अनेकों तस्वीरों में बंसी बजाते समय और सुदर्शन चक्र चलाते समय नजर आते हैं. एक ही तरह का भाव नजर आता है इसलिए आप किसी भाषण से आधा एक तरफ रखकर सामरिक और आधा एक तरफ रखकर चुनावी नहीं बता सकते. जब दुश्मनी बहुत गहरी होती है तो नाम लेकर बात नहीं की जाती है. ठीक ऐसा ही मोहब्बत में होता है जब प्यार गहरा होता है तो नाम लिया नहीं जाता या नाम बदल जाता है.