क्या आप यकीन करेंगे कि दिल्ली और एनसीआर में ऐसे लाखों लोग हैं, जिनके लिए
सालों से अपने एक घर का सपना सपना ही बना हुआ है। ये लोग अपने फ़्लैट्स की पूरी क़ीमत दे चुके हैं, फिर भी उन्हें उनके मकानों के कब्ज़े नहीं मिल पाए हैं। इसकी वजह बिल्डरों की धोखाधड़ी तो है ही एक ऐसे क़ानून का ना होना भी है जो बिल्डरों पर नकेल कस सके। इससे जुड़ा बिल कई साल से संसद में धूल खा रहा है, बल्कि अब तो उसे कमज़ोर करने की कोशिश हो रही है।