भारत सरकार (Governement of India) के मंत्रालयों की कहानी बताता हूं. दो मंत्री हैं, डॉ हर्षवर्धन और रमेश पोखरियाल निशंक. निशंक डॉक्टर नहीं हैं लेकिन दवा बंटवा रहे हैं. कोरोना के इलाज के लिए सरकार ने जो गाइडलाइन जारी की है, या डॉक्टर हर्षवर्धन ने जो ट्वीट किया है उसमें डार्क चाकलेट तो है, पर कोरोनिल नहीं है, जो कि रामदेव की तथाकथित दवा है. क्या शिक्षा मंत्री वह तथाकथित दवा बंटवा सकते हैं जिसका जिक्र आईसीएमआर ने अपनी गाइडलाइन में नहीं किया है. इतने लोगों की मौत के बाद क्या हम इस तरह से कोरोना से लड़ रहे हैं?