प्रधानमंत्री से लेकर आरएसएस के प्रमुख ने भी कहा कि बीमारी को आप धर्म से नहीं जोड़ सकते हैं,और एक मरीज को आप पूरे समुदाय से नहीं जोड़ सकते हैं. उनके कहने के बाद भी कुछ भी फर्क नहीं दिख रहा है. अभी भी फल-सब्जियों के ठेले पर इस तरह के धार्मिक ध्वज लगा दिए गए हैं कि ये उनका अपना अधिकार है. एक सभ्य देश में सब्जी वालों का मजहब के नाम पर बंटवारा होता रहे तो सोचना चाहिए हमने अपने लिए किस तरह का भविष्य बनाया है.