प्राइम टाइम : इक्कीसवीं सदी के भारत की ये भी एक तस्वीर
प्रकाशित: अगस्त 25, 2016 09:00 PM IST | अवधि: 45:35
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जैसे यह आदमी कंधे पर अपनी बीवी की लाश समेट कर आपके हमारे ड्राइंग रूम में घुस आया है. दाना मांझी अगर अपनी पत्नी की लाश को चादर-चटाई में बांध कर कंधे पर नहीं लादता तो याद कीजिए कि आपने आखिरी बार दिल्ली से चलने वाले राष्ट्रीय चैनलों पर उड़ीसा को लेकर कब कोई ख़बर सुनी है. आज जब तमाम चैनलों पर दाना मांझी अपनी पत्नी की लाश लेकर चल रहा था तो उसके साथ साथ कई बुनियादी सवाल भी चल रहे थे. हो सकता है यह घटना अपवाद हो लेकिन इस एक घटना ने हमारे समाज और सिस्टम की तमाम खुशफहमियों को ध्वस्त कर दिया है.