अक्सर सुबह शाम चैनलों को देखकर लगता है कि नेताओं, कलाकारों और कुछ मूर्ख लोगों के विवादित बयानों में ही अपना देश बसता है. यह एक सीमित मात्रा में ज़रूरी हो सकता है लेकिन क्या यही मीडिया सिस्टम का काम है. मीडिया सिस्टम यानी जिसमें आप भी शामिल हैं और हम भी शामिल हैं. अगर बयानों में ही देश दिखेगा तो एक दिन देश हमारे सामने आकर खड़ा हो जाएगा. तब होगा ये कि हमारे पास बोलने के लिए शब्द ही नहीं बचेंगे.