कई बार लगता है कि जीवन के बाद इस धरती पर कुछ बचा रहेगा तो वो है बीमा। इसलिए जीवन बचे न बचे बीमा बचाइये। हमारे आस पास तेज़ी से बदलाव हो रहा है। भले ही व्यापक रूप से इसके समर्थन या विरोध की राजनीतिक सक्रियता नज़र न आती हो लेकिन बीमा राजनीतिक शब्दावली में अपनी जगह बनाने लगा है।