विपक्ष में दो सौ सांसद होते हुए भी कोई नेता विपक्ष नहीं है। कायदे से तो इन दौ सौ सांसदों को मिलकर नेता विपक्ष के लिए आवाज उठानी चाहिए थी और नियम धारा का समर्थन न मिलने की स्थिति में अपने भीतर आम सहमति बनाकर नेता विपक्ष चुनकर प्रतीकात्मक रूप से लोकतांत्रिक भावना का साहसिक प्रदर्शन करना चाहिए था, मगर ऐसा नहीं हो रहा है।
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